कोरोना से पुत्रों की गई जान तो माता-पिता ने त्याग दिए प्राण
आसनसोल कोरोना के वायरस ने आसनसोल के प्रतिष्ठित मुखर्जी परिवार उजाड़ गया। मुखर्जी परिवार के लोग
आसनसोल :कोरोना के वायरस ने आसनसोल के प्रतिष्ठित मुखर्जी परिवार उजाड़ गया। मुखर्जी परिवार के लोग वामपंथी दलों से जुड़े थे। तीन सप्ताह में इस परिवार के चार लोगों ने दम तोड़ा। कोरोना के कारण दो बेटों की जान गई तो शोक में माता-पिता के भी प्राण पखेरू उड़ गए। इससे वामपंथी दलों से जुड़े लोगों के अलावा मोहिशीला कॉलोनी के लोग शोक में है।
21 अप्रैल से मोहिशीला कॉलोनी के मुखर्जी परिवार में मौत का सिलसिला शुरू हुआ। लंबे समय से बीमार चल रहे सुशांत मुखर्जी को बेहतर इलाज के लिए रानीगंज ले जाया जा रहा था। रास्ते में कालीपहाड़ी के पास उनकी मौत हो गई। शव की जांच के बाद पता चला कि वे कोरोना संक्रमित थे। सुशांत माकपा के युवा संगठन डीवाइएफआइ के सक्रिय सदस्य थे। दो भाइयों में छोटे थे। पिता अमित मुखर्जी को छोटे बेटा की मौत से गहरा सदमा लगा। आठ दिन बाद 29 अप्रैल को उन्होंने भी दम तोड़ दिया। उनकी हृदयगति अचानक रूक गई। इस परिवार पर नियति का कहर अभी बाकी था। परिवार के एकमात्र पुरुष सदस्य माइकल मुखर्जी की भी तबीयत बिगड़ गई। माकपा की आसनसोल नंबर दो एरिया कमेटी के समाचार सचिव माइकल को छह मई को अस्पताल में भर्ती किया गया। आठ मई की शाम में उनका भी निधन हो गया। जांच में पाया गया कि वे भी कोरोना संक्रमित थे। दो सप्ताह के भीतर पति और दो पुत्रों की मौत ने बर्णाली मुखर्जी को भीतर से तोड़ दिया। उन्होंने खाना-पीना त्याग दिया। 12 मई को आवास पर उन्होंने भी प्राण त्याग दिए। अब इस परिवार में सिर्फ माइकल की पत्नी और उनकी बेटी जीवित हैं।
क्या कहते हैं नेता
दादा कि आर बोलबो। सब शेष होये गेलो। भाबते पारछि ना। माइकल मुखर्जी ने ही युवा संगठन में उनका मार्गदर्शन किया था। विश्वास नहीं हो रहा है कि वो हमारे बीच नहीं है। उस परिवार पर जो बीता है, भगवान न करे कि ऐसा किसी के साथ हो।
विक्टर आचार्या, डीवाइएफआइ नेता