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ठप रहा बसों का परिचालन, यात्री हो रहे परेशान

बराकर प्रति बस व टिकट बिक्री से मिलने वाली राशि को लेकर बस ऑनर एसोसिएशन व कर्मचारी

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 06:59 PM (IST)
ठप रहा बसों का परिचालन, यात्री हो रहे परेशान
ठप रहा बसों का परिचालन, यात्री हो रहे परेशान

बराकर : प्रति बस व टिकट बिक्री से मिलने वाली राशि को लेकर बस ऑनर एसोसिएशन व कर्मचारी यूनियन आमने-सामने है। इसका खामियाजा बस यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। इसका परिणाम रहा कि एसोसिएशन के निर्णय के अनुरूप लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी बराकर स्टैंड से 40 बसों का परिचालन बंद रहा। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। बस यूनियन के हराधन मंडल ने एसोसिएशन के इस निर्णय का विरोध करते हुए तीव्र निदा की। बताया कि बुधवार को तीन बसों के बस मालिकों ने आसनसोल में रोक दिया। जिस पर यूनियन ने निर्णय लिया है कि बसों के परिचालन को लेकर यूनियन का शिष्टमंडल बस मालिकों को आवेदन देगा। विरोध करने वाले यूनियन में आइएनटीयूसी, सीटू, तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल हैं। इनका कहना है कि बस मालिकों द्वारा बस बंद कर देने से यात्रियों व बस कर्मचारियों को परेशानी हो रही है।

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टिकट के पैसे से हो रही थी मदद

यूनियन के हराधन मंडल ने कहा कि कोरोना काल के पूर्व बस स्टैंड में टिकट काउंटर पर होने वाली आमदनी का सात प्रतिशत सेवानिवृत्त व वृद्ध कर्मचारियों को उनका परिवार चलाने के लिए दिया जाता था। लॉकडाउन से परिचालन बंद होने से यह सहयोग भी बंद हो गया था। बावजूद इसके यूनियन की ओर से कर्मियों की यथा संभव मदद की जा रही थी। अब पूरी तरह से बसों का परिचालन शुरू हो गया है तो फिर से काउंटर प्रारंभ किया गया है। लंबी दूरी के लिए सरकार द्वारा 20 बसों को परमिट निर्गत किया गया है, लेकिन बस मालिक परिचालन नहीं कर रहे हैं। यही नहीं बिना कारण कर्मचारियों को हटा दिया जाता है। इस दौरान यूनियन नेताओं में इंटक के हराधन मंडल, बाबू मुखर्जी, गोरा चटर्जी, आइएनटीटीयूसी के रोबिन लायक, सीटू के राधा गोविद राय, राधा मोहन यादव आदि उपस्थित थे ।

यूनियन नहीं मान रहा दुर्गापुर बस स्टैंड का नियम

बस ऑनर एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य रंजीत सिंह ने कहा कि दुर्गापुर बस स्टैंड के नियम के अनुसार वह लोग बराकर में भी राशि देना चाहते हैं। लेकिन कर्मचारी यूनियन इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। प्रति बस दस रुपया और टिकट बिक्री के ऊपर 10 प्रतिशत की माग कर रहे हैं। पूर्व में प्रति बस पांच रुपये और टिकट बिक्री पर सात प्रतिशत दिया जाता था।


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