बर्द्धमान उत्तर में घास फूल को जीत दोहराने की चुनौती
बर्द्धमान बर्द्धमान उत्तर विधानसभा को माकपा का लाल दुर्ग माना जाता है। जो राज्य में वर्ष 2011 में चली
बर्द्धमान : बर्द्धमान उत्तर विधानसभा को माकपा का लाल दुर्ग माना जाता है। जो राज्य में वर्ष 2011 में चली परिवर्तन की आंधी में भी नहीं हिल पाया। लेकिन पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया। अब तृणमूल के समक्ष लाल दुर्गापुर में घास फूल के जीत को दोहराने की चुनौती है। जबकि इस बार माकपा फिर से यहां अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का प्रयास कर रही है। वहीं भाजपा यहां कमल खिलाने को आतुर है। इसके लिए तीनों पार्टियां चुनाव प्रचार में जुटी है। तृणमूल की प्रतिष्ठा यहां साख पर है, यही वजह है कि मुख्यमंत्री यहां चुनावी रैली भी कर चुकी है। वर्ष 2016 के चुनाव में बर्द्धमान उत्तर से तृणमूल कांग्रेस के निशिथ मल्लिक ने जीत हासिल की थी। इस बार अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए निशिथ मल्लिक को ही चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने राधा कांत राय को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि माकपा ने इस सीट से अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने के लिए युवा चंडीचरण लेट को चुनाव मैदान में उतारा है।
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वर्ष 1977 से 2011 के चुनाव तक माकपा को मिली थी जीत :
बर्द्धमान उत्तर विधानसभा वर्ष 1967 के चुनाव में अस्तित्व में आया था। उसके पहले बर्द्धमान विधानसभा का हिस्सा था। वर्ष 1967, 1969,1971 के चुनाव में यहां वामदलों को ही जीत मिली थी। लेकिन वर्ष 1972 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली। उसके बाद वर्ष 1977 से 2011 के चुनाव में यहां माकपा का लगातार दबदबा रहा। वर्ष 2011 के चुनाव में राज्य में परिवर्तन की आंधी चली थी, उस चुनाव में भी माकपा ने यहां से जीत हासिल की। लेकिन वर्ष 2016 में यहां जोड़ा फूल खिला था।
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पिछले लोकसभा से भाजपा की मजबूत हुई स्थिति :
बर्द्धमान उत्तर सीट बर्द्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट के अंतर्गत है, जो माकपा का लाल दुर्ग था। लेकिन वर्ष 2019 के चुनाव में भी यहां तृणमूल की स्थिति मजबूत थी। लेकिन भाजपा से दो हजार से भी कम वोट से बढ़त थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा के मत फीसद में हुई वृद्धि को भाजपा इस बार के चुनाव में काम लगाना चाहती है। इसके लिए पूरी ताकत झोंक रही है।