आठ साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पार्इ इस धाम को रोपवे से जोड़ने की कवायद
यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने की कवायद आठ साल बाद भी परवान नहींं चढ़ पार्इ है। अब इसके लिए नए सिरे से सर्वे के बाद वन भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही की जाएगी।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने की कवायद को आठ साल बाद भी परवान नहीं चढ़ पाई है। पर्यटन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं गढ़वाल आयुक्त दिलीप जावलकर का कहना है कि यमुनोत्री रोपवे निर्माण के लिए जिस कंपनी को काम सौंपा गया था, वह छोड़कर चली गई। इसलिए अब नए सिरे से सर्वे के बाद वन भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही की जाएगी।
खरसाली से यमुनोत्री धाम को रोपवे से जोड़ने की कवायद 2010 में शुरू हुई थी। पर्यटन विभाग ने इस प्रोजेक्ट को आइटीपीएल कंपनी के साथ 70 करोड़ की लागत से पीपीपी मोड पर तैयार करवाने की सहमति बनाई। इसके लिए ग्रामीणों ने खरसाली में चार हेक्टेयर भूमि भी पर्यटन विभाग को दी थी। इसके साथ ही खरसाली से यमुनोत्री धाम के पास गरुड़चट्टी तक रोपवे के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2014 में एनओसी जारी की।
तय शर्तों के अनुसार कार्यदायी कंपनी आइटीपीएल को 2015 में निर्माण कार्य शुरू कर 2017 में उसे पूरा करना था। लेकिन, पर्यटन विभाग की लापरवाही के कारण कंपनी बिना काम किए ही चलती बनी। स्थानीय लोगों के दबाव में जब पर्यटन विभाग की नींद खुली तो इस मामले में फिर से निविदा आमंत्रित करने के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी गई। लेकिन, अब सर्वे से लेकर पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेने की कार्यवाही पर्यटन विभाग को फिर से करनी पड़ेगी। ऐसे में इस महत्वपूर्ण योजना के धरातल पर उतरने में समय लगना तय है। गढ़वाल आयुक्त दिलीप जावलकर का यह भी कहना है कि खरसाली और जानकीचट्टी के लोगों में रोपवे के स्टेशन को लेकर विवाद है। इसको भी देखा जा रहा है।
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