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बूढ़ी पेयजल लाइन पर नई आबादी का भार

संवाद सूत्र, बड़कोट (उत्तरकाशी) : यमुना किनारे बसे बड़कोट शहर में सबसे अधिक संकट पेय

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 03:01 AM (IST)
बूढ़ी पेयजल लाइन पर नई आबादी का भार
बूढ़ी पेयजल लाइन पर नई आबादी का भार

संवाद सूत्र, बड़कोट (उत्तरकाशी) : यमुना किनारे बसे बड़कोट शहर में सबसे अधिक संकट पेयजल का है। गर्मी के सीजन में तो ये हाल होता है कि शहर के लोग प्राकृतिक जलस्रोतों से पानी ढ़ोने को मजबूर होते हैं। यह संकट काफी समय से बना हुआ है।

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नगरपालिका बड़कोट के वार्ड 4 व 7 और शरुखेत के लोग पिछले कई साल से पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं। लेकिन, जल संस्थान ने अभी तक इस समस्या का निस्तारण नहीं किया है। नगर वासियों का कहना है कि बड़कोट पहले गांव था, गांव से नगर पंचायत बना और अब नगरपालिका बन चुका है। इस नगर में पानी की आपूर्ति के लिए जनसंख्या के हिसाब से कोई भी अतिरिक्त संसाधन विकसित नहीं किए गए, जबकि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 1972 में क्षेत्र की आबादी के आधार पर ही नगर की पेयजल योजना का निर्माण किया गया था, जबकि अब आबादी बीस हजार से भी अधिक हो गई है। इतनी बड़ी आबादी को पेयजल आपूर्ति के लिए महज एक ही टैंक और पाइप लाइन से आपूर्ति कराई जा रही है। यही नहीं, टैंक से नगर में बने होटल को भी पानी दिया जाना है। ऐसे में घरेलू उपभोक्ताओं को पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि दो वर्ष पहले चार करोड़ की लागत से ट्यूबवेल योजना के तहत यमुना नदी में आपूर्ति की जाने की योजना थी, लेकिन यह भी परवान नहीं चढ़ी।

बड़कोट नगर चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव है, बावजूद इसके यहां समस्याओं का अंबार है। सबसे अधिक समस्या पेयजल की है, जो यात्रा सीजन के दौरान सबसे गंभीर बन जाती है।

-भागेश्वर उनियाल, वार्ड नंबर 1 बड़कोट

बड़कोट के लिए 1972 में पेयजल योजना बनी थी, लेकिन इसके बाद इस पेयजल योजना का पुनर्गठन नहीं किया गया। पेयजल के लिए कई बार आंदोलन भी किया, लेकिन स्थाई समाधान अभी तक नहीं हुआ है।

-देवेंद्र रावत, वार्ड नंबर-7 बड़कोट

इस चुनाव में बड़कोट का सबसे बड़ा मुद्दा पेयजल को लेकर ही है, जो भी प्रत्याशी उनके पास वोट मांगने के लिए आ रहा है, उसे यही समस्या बता रहे हैं। उम्मीद है कि जो भी प्रत्याशी चुना जाएगा, वह बड़कोट में पेयजल संकट का समाधान करेगा।

-हंसपाल बिष्ट, वार्ड नंबर-5 बड़कोट

गर्मियों के सीजन में शहर के लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्त्रोत को खोजने के लिए जाना पड़ता है। इस बार के चुनाव में पेयजल का मुद्दा सबसे बड़ा है।

-दीपक डोभाल वार्ड नंबर-4 बड़कोट


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