Lockdown में किसानों के उत्पाद को पहुंचा रहे उपभोक्ताओं तक, जरूरतमंदों को दे रहे राशन भी
उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जनमंच का अभिनव प्रयोग मॉडल के तौर पर सामने आया। गांव के किसानों के उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में जनमंच एक लिफ्ट की तरह काम कर रहा है।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। वैश्विक महामारी की चेन को तोड़ने के लिए प्रभावी लॉकडाउन में कई तरह की अभिनव पहल और सामाजिक सरोकारों की असल तस्वीरें सामने आई हैं। जो निश्चित तौर पर सुकून देने और सीखाने वाली हैं। इसमें उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जनमंच का अभिनव प्रयोग भी एक मॉडल के तौर पर सामने आया। गांव के किसानों के उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में जनमंच एक लिफ्ट की तरह काम कर रहा है। तो गांव तक बीच खाद पहुंचाना, लोगों की समस्या प्रशासन तक पहुंचना, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराने के अलावा लोगों तक राशन पहुंचाने का भी काम कर रहा है। वहीं, इसके अलावा तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्था, रेड क्रॉस उत्तरकाशी, पूर्व सैनिक कल्याण समिति उत्तरकाशी, कर्तव्य फाउंडेशन, प्रधान संगठन, स्काउट गाइड उत्तरकाशी जैसी संस्थाएं भी लोगों तक मदद पहुंचा रही हैं।
वर्ष 2010 में हुई स्थापना
उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जनमंच का गठन वर्ष 2010 में प्रभावितों की मदद और उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए हुआ था। इस मंच में उत्तकराशी के कई सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता जुड़े हैं, जो मिलकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं। 2010 से लेकर निरंतर आपदा में जनमंच काम कर रहा है। 2012, 2013 की आपदा में भी सक्रिय रूप में आपदा प्रबंधन जनमंच फ्रंट लाइन में दिखा था। आराकोट आपदा में भी जनमंच की खास भूमिका रही।
काश्तकारों को दिलाया सीधा फायदा
लॉकडाउन के दौरान जनमंच को सूचना मिली की गांव में तैयार फसल को लेकर काश्तकार परेशान हैं। तो डुंडा ब्लाक के 40 ऐसे काश्तकारों के लिए जनमंच लिफ्ट बना। काश्तकारों के खेतों से जनमंच की टीम ने तैयार मटर और आलू उठाए। उन्हें बाजार में डोर-टू-डोर सिस्टम से बेचा। अभी तक जनमंच 50 कुंतल मटर, 10 कुंतल आलू, पालक, हरी प्याज आदि बेच चुका है। इसका फायदा ये है कि काश्तकार को अच्छे दाम मिल रहे हैं और उपभोक्ताओं को भी ताजी सब्जियां सही मूल्य पर मिल रही हैं। जनमंच के अध्यक्ष द्वारिका सेमवाल कहते हैं कि जनमंच ने जो मटर बाजार में 35 रुपये से 40 रुपये प्रति किलो बेची है। उसका दाम काश्तकार को 28 रुपये से लेकर 34 रुपये प्रति किलो दिया गया। जो आलू बाजार में 40 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा है, उसका दाम काश्तकारों को 35 रुपये प्रति किलोग्राम दिया गया। इसमें केवल जनमंच ने गांव से लेकर बाजार तक लाने का वाहन शुल्क काटा है और बैंकिंग सिस्टम से काश्तकारों का भुगतान किया।
फूल काश्तकारों के चेहरों को भी खिलाया
वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर मैदानी क्षेत्र से आने वाले फूलों पर प्रतिबंध है। ऐसे में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में इस बार स्थानीय फूलों से ही सजावट होगी। जिससे स्थानीय स्तर पर उत्पादित फूल काश्तकारों को इसका फायदा मिलेगा। इसके लिए उत्तरकाशी आपदा जनमंच आगे आया हैं। स्थानीय स्तर पर उत्पादित होने वाले ग्लेडियोलस फूल के भी कोई खरीददार नहीं मिल रहे थे। काश्तकारों की पीड़ा को उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन मंच ने समझा। जिसके बाद मंच से जुड़ी रेणुका समिति के संदीप उनियाल और श्री केदार जन विकास समिति के विजयेश्वर प्रसाद डंगवाल ने प्रशासन और दोनों धामों की मंदिर समिति के सामने काश्तकारों की समस्या रखी। जिसके बाद प्रशासन और मंदिर समिति की अनुमति पर करीब दोनों मंदिरों 50 हजार रुपये के फूल लगाए। इसका फायदा सीधे काश्तकारों को हुआ।
ये काम भी कर रहा है जनमंच
उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जनमंच उन लोगों लिए भी मुफीद साबित हो रहा है जो काश्तकार बीज खाद के लिए बाजार नहीं आ पा रहे हैं। उन्हों जनमंच गांव में ही बीज उपलब्ध करा रहा है। केवल, काश्तकारों की सूचना किसी तरह से जनमंच के कार्यकर्ताओं तक पहुंचनी चाहिए। फिर काश्तकार गांव में ही सुविधाएं मिलनी तय है। जनमंच न काश्तकारों को भिंडी, फ्रेंचबीन, खीरा, कद्दू के बीज निश्शुल्क उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा कम दाम में कई कुंतल अदरक और हल्दी का बीज भी उपलब्ध कराया है।
शारीरिक दूरी के लिए भी किया प्रेरित
लॉकडाउन हुआ था तो आपदा प्रबंधन जनमंच ने सबसे पहले लोगों को मास्क पहनने और शारीरिक दूरी रखने के लिए प्रेरित किया। जनमंच के कार्यकर्ताओं ने मुख्य बाजार से लेकर ग्रामीण बाजार तक शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए गोले बनाए। इसके अलावा गांव की महिलाओं से मास्क तैयार कर आर्थिक रूप से गरीब परिवारों को बांट रहे हैं।
आरोग्य सेतु एप कराया डाउनलोड
जनमंच के कार्यकर्ता इन दिनों चिन्यालीसौड़, डुंडा और भटवाड़ी ब्लाक के दर्जनों गांवों में आरोग्य सेतु एप को स्टॉल करा रहे हैं। जनमंच से जुड़े और रिलायंस फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक कमलेश गुरुरानी कहते हैं कि जिस दिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड कराने की मुहिम शुरू की। अभी तक 1500 से अधिक ग्रामीणों के मोबाइल पर आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड कर दिया है। इसके साथ आरोग्य ऐप को स्टाल कर जानकारी दी जा रही है। ग्राम पंचायत जेनेथ व बान्दू ऐसी पंचायत बनी जिन्होंने सौ प्रतिशत स्मार्ट फोन धारकों के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप इंस्टॉल कर दिया है।
राशन बांटी भी और बंटवायी भी
लॉकडाउन होने के बाद गांव में कई परिवार ऐसे थे, जहां तक प्रशासन नहीं पहुंच सका। आपदा प्रबंधन जनमंच से जुड़े संदीप उनियाल कहते हैं कि जनमंच ने अपने संसाधनों तथा उत्तरकाशी में पंवार ट्रेडर्स की मदद लेकर मातली, डुंडा, गेंवला में 35 परिवारों को एक माह का राशन दिया है, जबकि एक हजार से अधिक परिवारों व मजदूरों को प्रशासन से राशन दिलवाया।
ये हैं उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन जनंच के हीरो
- संदीप उनियाल अध्यक्ष, रेणुका समिति
- कमलेश गुरुरानी परियोजना निदेशक, रिलायंस फाउंडेशन
- द्वारिका सेमवाल सचिव जाड़ी संस्थान
- अजय पंवार प्रोजेक्ट मैनेजर श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम
- विजयेश्वर प्रसाद डंगवाल, अध्यक्ष श्री केदार जन विकास समिति
- राखी राणा, रमेश चमोली
ये संस्थाएं भी रही है बेहतर कार्य
कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में लोगों की परेशानी दूर करने में तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्था, रेड क्रॉस उत्तरकाशी, पूर्व सैनिक कल्याण समिति उत्तरकाशी, कर्तव्य फाउंडेशन, प्रधान संगठन, स्काउट गाइड उत्तरकाशी काम कर रही हैं। ये संस्थाएं ग्रामीणों को जागरूक करने से लेकर राहत बांटने का भी काम कर रही है। इसके साथ ही घर-घर कपड़े के मास्क बनाने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं। इसके अलावा पीएम केयर फंड और सीएम राहत कोष के लिए भी कई संस्थाओं ने अपने खजाने खोले हैं।
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इनमें श्री काशी विश्वनाथ एवं मां शक्ति धर्मार्थ प्रबंधन समिति, गंगोत्री मंदिर समिति, श्री हनुमान मंदिर समिति, यमुनोत्री मंदिर समिति सहित आदि संगठनों ने बड़ी धनराशि दी हैं। गोस्वामी गणेशदत्त सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज उत्तरकाशी ने अपने स्कूल में अध्ययनरत 925 बच्चों की तीन माह की फीस माफ की है। इससे स्कूल को करीब 50 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। प्रधान संगठन ने तीन-तीन महीने का अपना वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है। वहीं, पुरोला प्रधान संगठन ने आठ कुंतल राशन सामग्री जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई है।
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