ग्राम पंचायत सर को नहीं छू पाया क्रूर कोरोना
आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से दूर उत्तरकाशी जनपद की ग्राम पंचायत सर को कोरोना संक्रमण नहीं छू पाया है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से दूर उत्तरकाशी जनपद की ग्राम पंचायत सर को कोरोना संक्रमण नहीं छू पाया है। यह सब ग्राम पंचायत की जागरूकता के कारण ही संभव हो सका है। देशभर में चल रही कोरोना की दूसरी लहर के बीच ग्रामीणों ने गांव को संक्रमण से बचाने के लिए और भी सख्त नियम लागू कर दिए हैं। सर गांव की यही सख्ती क्रूर कोरोना को दूर किए हुए है और सर ग्राम पंचायत का एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नहीं हुआ है।
सर ग्राम पंचायत उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूर है। सर गांव जाने के लिए पुरोला के गुंदियाटगांव से 18 किलोमीटर पैदल रास्ता भी है। दूसरा रास्ता बड़कोट से सरनौल तक 40 किलोमीटर सड़क मार्ग है। सरनौल से भी 16 किलोमीटर पैदल चलकर सर गांव में पहुंचते हैं। सर ग्राम पंचायत के अंतर्गत लेवटाड़ी और डिगाड़ी राजस्व ग्राम भी आते हैं। ग्राम पंचायत में 320 परिवार हैं और यहां की आबादी साढ़े आठ सौ के करीब है। बीते वर्ष जब कोरोना संक्रमण की पहली लहर आई थी तो ग्रामीणों ने गांव में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए कोविड जांच अनिवार्य कर दी थी। निगेटिव होने के बाद ही गांव में प्रवेश दिया जा रहा था। इसका नतीजा यह हुआ कि गांव का कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ।
अब कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीणों ने सतर्कता और सख्ती बढ़ा दी है। सर ग्राम पंचायत के प्रधान अमित सिंह पंवार बताते हैं कि पुरोला और बड़कोट से आने वाले फेरीवाले और अन्य व्यक्तियों को संदेश दिया गया है कि सर ग्राम पंचायत में आने से 72 घंटे पहले की कोरोना जांच रिपोर्ट दिखानी होगी। यहीं नहीं कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए ग्रामीणों ने बाजार जाना बंद कर दिया है। ग्रामीण जरूरी सामान गांव की दुकान से ही खरीद रहे हैं। बाहर से आने वालों व्यक्तियों और गांव में खांसी-बुखार के लक्षण वाले व्यक्तियों पर आंगनबाड़ी कार्यकत्ताएं नजर रख रही हैं। सर गांव में कलावती, लेपटाड़ी गांव में सरोज और डिगाड़ी गांव में रीना देवी हर दिन ग्रामीणों के स्वास्थ्य के बारे में पूछती हैं।
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आधुनिक सुविधाओं से भी दूर है सर गांव: सर ग्राम पंचायत के प्रधान अमित सिंह पंवार कहते हैं कि गांव में केवल 12 स्नातक हैं। इंटर कॉलेज 16 किलोमीटर दूर सरनौल में होने के कारण दसवीं और 12वीं पास की संख्या भी काफी कम हैं। गांव में केवल आठवीं तक का स्कूल है। 10 ग्रामीण युवा पशुपालन, सेना, पुलिस और वन विभाग में कार्यरत हैं। गांव अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाया है, संचार सेवा भी सही नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था नहीं है। गांव में दो वर्ष पहले बिजली पहुंची। इसलिए तबसे टेलीविजन के जरिये देश-दुनिया की खबरों से अपडेट रहते हैं।
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वैक्सीनेशन को लेकर ग्रामीणों में उत्साह: सर ग्राम पंचायत के डिगाडी गांव निवासी कैलाश रावत कहते हैं कि गांव में वैक्सीन सेंटर नहीं बनाया गया है। लेकिन, वैक्सीन लगवाने के लिए ग्रामीणों में उत्साह है। सर गांव के बुजुर्ग 16 किलोमीटर पैदल चलकर किसी तरह से वैक्सीन सेंटर सरनौल तक पहुंचे हैं। इसे लेकर बुजुर्गों ने परेशानी भी झेली। अगर गांव के निकट वैक्सीन सेंटर होता तो शत-फीसद वृद्ध और ग्रामीण वैक्सीन लगा देते।