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यहां खोदाई करने पर मिल रहे हैं प्राचीन अवशेष, तस्वीरों में देखें पौराणिक सभ्यता

उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 46 किमी दूर धरासू-यमुनोत्री हाईवे के पास नामनगर (रामनगर) में हल्की खोदाई करने पर भी प्राचीन मूर्तियां मिल रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने नामनगर के तीन वर्ग किमी क्षेत्र में पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की मांग की है।

By Edited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 09:17 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 03:47 PM (IST)
यहां खोदाई करने पर मिल रहे हैं प्राचीन अवशेष, तस्वीरों में देखें पौराणिक सभ्यता
पौराणिक सभ्यता: यहां खोदाई करने पर मिल रहे हैं प्राचीन अवशेष, तस्वीरों में देखें।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 46 किमी दूर धरासू-यमुनोत्री हाईवे के पास नामनगर (रामनगर) में हल्की खोदाई करने पर भी प्राचीन मूर्तियां मिल रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने नामनगर के तीन वर्ग किमी क्षेत्र में पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की मांग की है, जिससे यहां दफन सभ्यता का पता लग सके। हालांकि, अभी तक प्रशासन और पुरातत्व विभाग की टीम निरीक्षण के लिए नहीं पहुंची है।

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डुंडा तहसील क्षेत्र में पयांसारी गांव के पास नामनगर में पटारा गांव के ग्रामीणों की छानियां (पीढ़ियों पुराने घर) बनी हुई हैं। हालांकि, धरासू-यमुनोत्री हाईवे से महज दो किमी दूर होने के बावजूद इन छानियों में कोई नहीं रहता। वर्षों पहले लगातार अप्रिय घटनाओं के कारण ग्रामीणों ने इन छानियों को छोड़ दिया था। साथ यहां की कुछ जमीन राजकीय महाविद्यालय ब्रह्मखाल को दान कर दी थी। इस भूमि पर महाविद्यालय के भवन का निर्माण होना है।

खास बात यह कि यहां खेतों में हल चलाने और निर्माण के लिए खोदाई करने पर तरह-तरह की मूर्तियां और कलाकृतियां निकल रही हैं। पयांसारी गांव की 84-वर्षीय अमरा देवी के अनुसार उन्होंने बुजुर्गों से सुना है कि सदियों पहले नामनगर में एक बौद्ध राजा अपनी दो रानियों के साथ रहता था। एक रानी बौध धर्म को मानती थी तो दूसरी सनातन धर्म को मानने वाली थी।

बौध राजा सनातनी देवी-देवताओं का अनादर करता था। नतीजा एक समय भारी भूस्खलन हुआ और राजा का पूरा गढ़ जमींदोज हो गया। भूस्खलन के प्रमाण अभी भी दिखते हैं। पयांसारी के ही 62-वर्षीय त्रेपन सिंह कुमाईं कहते हैं कि इसी वर्ष जून में जब मनरेगा के तहत पेयजल स्नोत पर कार्य चल रहा था तो खोदाई में किसी मंदिर या महल के स्तंभ मिले। साथ ही मूर्तियां भी नजर आईं। कुछ वर्ष पहले जब पटारा गांव निवासी हुकुम सिंह अपनी छानी बना रहे थे, तब भी शेषनाग व शिवलिंग की मूर्तियां मिली थीं।

कलीराम डोभाल को भी खेतों में हल चलाते हुए कई मूर्तियां मिलीं। सरतली गांव के 80 वर्षीय विक्रम सिंह पंवार कहते हैं कि राजशाही के दौर में वन दारोगा रहे सत्य शरण डोभाल को नामनगर में खेती-किसानी के लिए पट्टा मिला था। जब उन्होंने मकान निर्माण के लिए खोदाई की तो कई प्राचीन मूर्तियां निकलीं। फिर उन्होंने वहां से दूर मकान बनाया। बताया कि निर्माण और हल चलाने के दौरान निकली मूर्तियों को ग्रामीणों ने काली मंदिर परिसर में एकत्र किया हुआ है। डुंडा तहसील के पयांसारी गांव के नामनगर में सदियों पहले हुए भूस्खलन का इस तरह से मलबा बिखरा पड़ा है, जो ज्वालामुखी के लावे के तरह दिखता है।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि उत्तरकाशी जिले में हल्की खोदाई करने पर भी नामनगर में मिल रही हैं प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां डुंडा तहसील के पयांसारी-नामनगर में प्राचीन मूर्तियां मिलने की जानकारी है। यहां सर्वे के लिए पुरातत्व विभाग को लिखा जा रहा है। इसके बाद ही मूर्तियों के संबंध में अधिकृत जानकारी मिल सकेगी।

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