गोमुख में रक्तवन घाटी के नाले ने बदला स्थान
भागीरथी (गंगा) के उद्गम स्थल गोमुख के पास काफी बदलाव नजर आ (
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: भागीरथी (गंगा) के उद्गम स्थल गोमुख के पास काफी बदलाव नजर आ रहे हैं। गोमुख के दायीं ओर रक्तवन घाटी से आने वाला नाला अब गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर नहीं, बल्कि सीधे गोमुख के पास मिल रहा है। इसके अलावा तपोवन, रक्तवन घाटी व नंदनवन घाटी को जोड़ने वाला मार्ग भी पूरी तरह से बंद हो गया है। गोमुख का निरीक्षण करने गई संयुक्त जांच टीम ने भी इसकी पुष्टि की है। हालांकि, इस बदलाव से गोमुख क्षेत्र में किसी तरह के खतरे की आशंका नहीं है।
संयुक्त निरीक्षण टीम में शामिल गंगोत्री नेशनल पार्क रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार ने बताया कि गोमुख क्षेत्र में बीते तीन वर्षों के दौरान काफी बदलाव आए हैं। नीला ताल के टूटने से काफी मात्रा में मलबा जमा हुआ है। इससे गोमुख के एक किमी के दायरे में गंगा का प्रवाह दायीं ओर की पहाड़ी से सटकर हो रहा है। भोजवासा से होकर गोमुख के दायीं ओर से जो रास्ता तपोवन, रक्तवन घाटी, नंदनवन, कालिंदी पास के लिए जाता था, वह पूरी तरह से बंद हो चुका है। इसी कारण पार्क ने पर्यटक और पर्वतारोहियों की सुविधा के लिए भोजवासा के पास ट्रॉली लगाई है।
पंवार के अनुसार इस बार सबसे बड़ा बदलाव रक्तवन घाटी से आने वाले नाले को लेकर दिख रहा है। रक्तवन घाटी से आने वाला यह नाला पहले गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर आता था। लेकिन, अब नाला सीधे गोमुख के मुहाने से जुड़ रहा है। हालांकि, इससे किसी तरह का कोई खतरा नहीं है।
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गोमुख से लौटी जांच टीम ने शासन को भेजी रिपोर्ट
गोमुख की वस्तुस्थिति का निरीक्षण करने के बाद रविवार को उत्तरकाशी लौटी संयुक्त जांच टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी मयूर दीक्षित को सौंपने के साथ ही शासन को भी भेज दी। टीम ने जिलाधिकारी को गोमुख क्षेत्र के फोटो और वीडियो भी दिखाए। साथ ही बताया कि उन्हें गंगोत्री से गोमुख तक जोखिम में जाना पड़ा। 19 किमी के इस ट्रैक पर एक से दो फीट बर्फ जमी हुई है। बताया कि भागीरथी नदी घाटी में स्थित ग्लेशियर के संभरण क्षेत्र में किसी तरह की कोई झील मौजूद नहीं है और नदी भी अपने प्राकृतिक प्रवाह में बह रही है। लिहाजा, गोमुख क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जोखिम की आशंका नहीं है। टीम में भू-विज्ञानी सुशील खंडूड़ी, रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार, चैन सिंह रावत व मस्तान सिंह भंडारी के अलावा राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के सदस्य शामिल थे।