शंकराचार्य की स्थापित परंपरा से न की जाए छेड़छाड़: प्रेमगिरी महाराज
जूना अखाड़ा के श्रीमहंत प्रेमगिरी ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर सवाल उठाए हैं।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जूना अखाड़ा के श्रीमहंत प्रेमगिरी ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर सवाल उठाए हैं। गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के साथ वार्ता के दौरान श्रीमंहत प्रेमागिरी महाराज ने कहा कि जो व्यवस्था शंकराचार्य ने स्थापित की है, उनके साथ छेड़छाड़ न किया जाए। अगर शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपराएं क्षीण होती हैं तो सारे साधु समाज व दसनामियों की परंपराएं क्षीण होंगी। साधु समाज का संकल्प है कि इन परंपराओं को क्षीण नहीं होने देंगे। सरकार को इस पर सोचना होगा।
रविवार को गंगोत्री में श्रीमहंत प्रेमागिरी ने कहा कि शंकराचार्य ने हमारे देवस्थानों की जिम्मेदारी रावल समाज, ब्राह्मण समाज और साधु समाज को दी है। लेकिन, यहां तीनों समाज मिलकर तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। हरिद्वार में मंशा देवी, चंडीदेवी और गंगा सभा के साथियों ने मिलकर आंदोलन किया तो सरकार को उन मंदिरों को लेकर अपना आदेश स्थगित करना पड़ा। इसलिए संगठन मजबूत है तो सरकारें भी झुक जाती हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक साधु-संतों का सवाल है वे पहले से ही मांग करते आ रहे हैं कि जो मठ-मंदिर जिसके पास हैं उसी के पास रहने दिया जाए। जहां पर व्यवस्था भंग हो रही हो या गड़बड़ी हो रही हो, तो उसे सही करने के लिए सरकार कह सकती है और सुझाव दे सकती है। लेकिन, यह सही नहीं है कि सरकार उसे अपने नियंत्रण में करे।
श्रीमहंत प्रेमगिरी ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को वह नहीं मानते हैं और इसकी भर्त्सना करते हैं। इस मामले को लेकर वे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करेंगे। उनसे आग्रह करेंगे की शंकराचार्य की ओर से स्थापित अनादि काल की परंपरा का पालन किया जाए।