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चीन सीमा का ये डाकघर बना सैलानियों की सैरगाह, इस फिल्म से हुआ प्रसिद्ध

हर्षिल का वो डाकघर, जहां राम तेरी गंगा मैली फिल्म की शूटिंग हुर्इ है, आजकल पर्यटकों की सैरगाह बना हुआ है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 04:58 PM (IST)
चीन सीमा का ये डाकघर बना सैलानियों की सैरगाह, इस फिल्म से हुआ प्रसिद्ध
चीन सीमा का ये डाकघर बना सैलानियों की सैरगाह, इस फिल्म से हुआ प्रसिद्ध

उत्तरकाशी, [मनोज राणा]: फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' का जिक्र आते ही हर्षिल की मनमोहक वादियां आंखों में तैरने लगती हैं। खासकर समुद्रतल से 2620 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हर्षिल का वो डाकघर, जहां आकर फिल्म की नायिका गंगा (मंदाकिनी) रोज नरेन (राजीव कपूर) के खत का इंतजार करती थी। भारत-चीन सीमा पर स्थित यह डाकघर आज भी सैलानियों को अपनी ओर खींच रहा है। 

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जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 73 किमी दूर और गंगोत्री धाम से 25 किमी पहले भागीरथी (गंगा) के तट पर बसा है हर्षिल। इस कस्बे के छोटे-से भू-भाग में नदी-नालों व जल प्रपातों की भरमार है। यहां भागीरथी बेहद शांत वेग में बहती है। देवदार के सघन वृक्षों की शीतल छांव गंगोत्री जाने वाले हर यात्री को यहां खींच लाती है। हर्षिल का यही सम्मोहन 80 के दशक में फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग के राजकपूर को यहां खींच लाया था। 25 जुलाई 1985 को रिलीज हुई इस फिल्म की 50 फीसद शूटिंग हर्षिल की खूबसूरत वादियों में ही हुई। 

फिल्म में अभिनेत्री मंदाकिनी ने गंगा और अभिनेता राजीव कपूर ने नरेन की भूमिका निभाई थी। फिल्म के एक दृश्य में नरेन गंगाजल लेने गंगोत्री पहुंचता है। हर्षिल में उनकी मुलाकात स्थानीय युवती गंगा से होती है और दोनों के बीच प्यार का अंकुर फूट पड़ता है। कुछ दिन बाद नरेन गंगा को अकेला छोड़ मुंबई लौट जाता है। लेकिन, साथ में यह भरोसा भी दिलाता है कि उसे खत भेजता रहेगा। जहां गंगा रोज हर्षिल के डाकघर में आकर नरेन के खत का इंतजार करती थी। वर्षों से संचालित यह सीमांत डाकघर आज भी फिल्म के इस हृदयस्पर्शी दृश्य की याद दिलाता है।

इन दिनों भी यह डाकघर सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महाराष्ट्र की पर्यटक नंदिनी और दिल्ली की पर्यटक अरुण शर्मा बताती हैं कि वह दर्शनों को गंगोत्री धाम आई थीं। जब उन्हें पता चला की फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' की शूटिंग हर्षिल में ही हुई थी, तो वह हर्षिल के डाकघर को देखने का मोह संवरण नहीं कर पाईं। कहती हैं, इस डाकघर को उन्हें पर्दे पर देखा था। सचमुच ऐतिहासिक है यह डाकघर।

अब विदेशी भी जा सकते हैं हर्षिल

हर्षिल में 1962 तक विदेशियों के आने पर कोई रोक नहीं थी। लेकिन, 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार को हर्षिल को रोक वाले क्षेत्र (इनर लाइन) में डालकर नेलांग वैली के पास बॉर्डर एरिया को सील कर दिया। हालांकि, बीते वर्ष से क्षेत्र को इनर लाइन से हटा दिया गया है। अब यहां विदेशी पर्यटक भी जा सकते हैं।

फेडरिक विल्सन ने बनाया था यहां खूबसूरत बंगला

अंग्रेजी शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी का कर्मचारी फेडरिक विल्सन हर्षिल की खूबसूरती पर इतना फिदा हुआ कि यहीं का होकर रह गया। उन्होंने यहां खूबसूरत बंगला बनाया, जिसे लोग विल्सन हाउस के नाम से जानते थे। अब यहां वन विभाग का  गेस्ट हाऊस है। हिंदी फिल्मों के शो-मैन राजकपूर एक बार गंगोत्री आए तो हर्षिल की खूबसूरती पर रीझकर उन्होंने यहां फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग का निर्णय लिया। इस फिल्म में अधिकांश दृश्य हर्षिल व उसके आसपास के क्षेत्रों में ही फिल्माए गए थे।

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