सीमांत क्षेत्र में घरेलू रसोई गैस सिलिंडर की किल्लत
हर्षिल घाटी में इसी सीजन की तीसरी बर्फबारी हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : हर्षिल घाटी में इसी सीजन की तीसरी बर्फबारी हो चुकी है। अगले वर्ष फरवरी मार्च तक बर्फबारी का सिलसिला जारी रहेगा। शीतकाल में सीमांत क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को सुविधा देने के लिए कई विभाग लापरवाह बने हुए हैं। इन्हीं में प्रमुख रूप से खाद्य आपूर्ति विभाग, ऊर्जा निगम और संचार निगम शामिल है।
खाद्य आपूर्ति विभाग ने घरेलू गैस सिलिंडर की एजेंसी के माध्यम से हर्षिल घाटी के छह गांवों में गैस सिलिंडर की आपूर्ति नहीं की है। इसी तरह से मोरी के सुदूरवर्ती गांवों में ग्रामीणों के लिए रसोई गैस पहुंचना बेहद ही महगा साबित हो रहा है।
हर्षिल घाटी के हर्षिल, बगोरी, झाला, जसपुर, पुरोला और सुक्की गांव में डेढ़ माह पहले गैस सिलिंडर की आपूर्ति की थी। लेकिन, उसके बाद से अभी तक गैस की आपूर्ति नहीं है। इसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों में खासा आक्रोश है। शीतकाल को देखते हुए नवंबर के पहले सप्ताह में रसोई गैस की पर्याप्त आपूर्ति की जानी चाहिए थी तथा सीमांत क्षेत्र में शीतकाल की दृष्टि से भंडारण भी किया जाना चाहिए था।
हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत ने कहा कि गैस एजेंसी संचालकों को कई बार फोन भी किया। लेकिन, गैस एजेंसी संचालकों ने केवल मुखवा और धराली में गैस वितरित की। अन्य गांवों में छोड़ दिया गया। ग्रामीणों की मांग के बावजूद अधिकारी गैस सिलिंडर भेजने के नाम पर टालमटोल करते रहे। अब कुछ दिन बाद अगर गैस की आपूर्ति की भी जाती है तो बर्फ से ढके गांव से सड़क तक खाली गैस सिलिंडर पहुंचाना और भरा सिलिंडर गांव तक ले जाना मुश्किल भरा होगा। वहीं, मोरी क्षेत्र के लिवाड़ी, सेवा, बरी, ओसला, गंगाड़, पंवाड़ी, ढाटमीर में सिलिंडर पहुंचाना भी ग्रामीणों के लिए मुश्किल भरा हो रहा है। यहां बर्फ से रास्ते बंद हो चुके हैं और सड़क से गांव की दूरी दस किलोमीटर से अधिक है। बिजली और संचार व्यवस्था भी धड़ाम
बर्फबारी से सीमांत क्षेत्र में दूर संचार और बिजली आपूर्ति व्यवस्था ठप हो चुकी है। हर्षिल घाटी में बुधवार की शाम से बिजली की आपूर्ति ठप है। बिजली न होने के कारण मोबाइल टावर भी बंद हो गए हैं। डुंडा ब्लॉक के गाजणा पट्टी में पिछले एक माह से बीएसएनएल की मोबाइल सेवा ठप है। वहीं, मोरी के 40 से अधिक गांवों में भी संचार सेवा ठप होने के कारण ग्रामीणों की मुश्किलें और अधिक बढ़ गई है।