सरकारी तंत्र की उपेक्षा से पानी-पानी पनचक्की
मनोज राणा उत्तरकाशी पहाड़ में एक समय घराट यानी पनचक्की का बहुत अधिक प्रचलन था। गेहूं
मनोज राणा, उत्तरकाशी: पहाड़ में एक समय घराट यानी पनचक्की का बहुत अधिक प्रचलन था। गेहूं और मंडुआ जैसी चीजें इसी में लोग पिसाया करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म होने लगे हैं। भटवाड़ी ब्लाक के गांव गणेशपुर में कमलाराम बधानी खुद पांच दशक से घराट चला रहे थे, लेकिन तीन साल से यह बंद पड़ा है। कमलाराम कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इस ओर उदासीन बने हुए हैं।
गणेशपुर निवासी कमलाराम बधानी ने बताया कि गणेशपुर के अलावा आसपास के कई गांव उनके घराट में गेहूं पिसवाने आते थे। परिवार का भरण-पोषण इसी घराट से होता था। वर्ष 2016 में लोक निर्माण विभाग खंड भटवाड़ी ने सड़क बनाने के लिए जेसीबी से खुदाई की, जिससे घराट में गणेशगंगा से आने वाली पानी की धारा बंद हो गई। इससे घराट के लिए पानी नहीं रहा। लोनिवि के अधिकारियों से सड़क निर्माण के बाद सूखी नहर को जल्द खोलने को कहा ताकि घराट के लिए पानी मिल सके, लेकिन आश्वासन के बावजूद न तो सड़क बन सकी और न नहर ही खुली। विभागीय अधिकारी सड़क का कार्य आधा-अधूरा छोड़ गए। कहा कि नहर बंद होने से उनका पारंपरिक घराट बंद हो गया। परिवार का भरण पोषण का भी संकट पैदा हो गया है। लोनिवि भटवाड़ी के सहायक अभियंता भूपेश गुसाईं ने बताया कि चुनाव की व्यस्तता के चलते इस ओर कार्य शुरू नहीं हो पाया। जल्द ही बंद पड़ी नहर को खोला जाएगा।