Move to Jagran APP

सरकारी तंत्र की उपेक्षा से पानी-पानी पनचक्की

मनोज राणा उत्तरकाशी पहाड़ में एक समय घराट यानी पनचक्की का बहुत अधिक प्रचलन था। गेहूं

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:18 AM (IST)
सरकारी तंत्र की उपेक्षा से पानी-पानी पनचक्की
सरकारी तंत्र की उपेक्षा से पानी-पानी पनचक्की

मनोज राणा, उत्तरकाशी: पहाड़ में एक समय घराट यानी पनचक्की का बहुत अधिक प्रचलन था। गेहूं और मंडुआ जैसी चीजें इसी में लोग पिसाया करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म होने लगे हैं। भटवाड़ी ब्लाक के गांव गणेशपुर में कमलाराम बधानी खुद पांच दशक से घराट चला रहे थे, लेकिन तीन साल से यह बंद पड़ा है। कमलाराम कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इस ओर उदासीन बने हुए हैं।

loksabha election banner

गणेशपुर निवासी कमलाराम बधानी ने बताया कि गणेशपुर के अलावा आसपास के कई गांव उनके घराट में गेहूं पिसवाने आते थे। परिवार का भरण-पोषण इसी घराट से होता था। वर्ष 2016 में लोक निर्माण विभाग खंड भटवाड़ी ने सड़क बनाने के लिए जेसीबी से खुदाई की, जिससे घराट में गणेशगंगा से आने वाली पानी की धारा बंद हो गई। इससे घराट के लिए पानी नहीं रहा। लोनिवि के अधिकारियों से सड़क निर्माण के बाद सूखी नहर को जल्द खोलने को कहा ताकि घराट के लिए पानी मिल सके, लेकिन आश्वासन के बावजूद न तो सड़क बन सकी और न नहर ही खुली। विभागीय अधिकारी सड़क का कार्य आधा-अधूरा छोड़ गए। कहा कि नहर बंद होने से उनका पारंपरिक घराट बंद हो गया। परिवार का भरण पोषण का भी संकट पैदा हो गया है। लोनिवि भटवाड़ी के सहायक अभियंता भूपेश गुसाईं ने बताया कि चुनाव की व्यस्तता के चलते इस ओर कार्य शुरू नहीं हो पाया। जल्द ही बंद पड़ी नहर को खोला जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.