मकर संक्रांति पर संगम पर लगाई आस्था की डुबकी
जागरण टीम, गढ़वाल: मकर संक्रांति पर देवप्रयाग व कोटेश्वर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग व
जागरण टीम, गढ़वाल: मकर संक्रांति पर देवप्रयाग व कोटेश्वर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग व विष्णुप्रयाग में हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
नई टिहरी मकर संक्रांति पर तड़के ही लोगों ने स्नान कर मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की देवप्रयाग में मकर संक्रांति का पुण्य लाभ लेने के प्रदेश भर के श्रद्धालु गंगा स्नान व पूजन के लिए उमड़ पड़े। मकर राशि में सोमवार सांय सवा 7 बजे सूर्य का प्रवेश हुआ। घुत्तू भिलंग गांव से बिलेश्वर महादेव समिति की अगुआई में 22 गाव की भगवान महादेव, माँ भगवती, घंटाकर्ण आदि की डोलियां निशान व ध्वज सहित यहां पहुंची। तड़के ब्रह्म मुहूर्त में पावन भागीरथी अलकनंदा संगम स्थल पर गंगा में डोलियों ने निशानों के साथ लोगों ने स्नान किया। देव डोलियों के साथ समिति अध्यक्ष उम्मेद ¨सह कंडारी, पुजारी परमानंद भट्ट, समाजसेवी रतनमणि भट्ट, रामसिंह चौहान, मणिराम, जनार्दन आदि साथ थे। मकर संक्रांति पर भगवान श्री रघुनाथ का पुजारी पं सोमनाथ भट्ट ने विशेष श्रृंगार भी किया गया। वहीं कोटेश्वर संगम पर भी स्नान के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।
गोपेश्वर में मकर संक्रांति के त्योहार पर गांवों में भी धूम रही। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने सुबह ही देवी देवताओं की पूजा अर्चना की। मकर संक्रांति पर चमोली जिले में स्थित विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग व कर्णप्रयाग में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। कर्णप्रयाग में मकर संक्रांति पर क्षेत्र के मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना कर श्रद्धालुओं ने अलकनंदा व पिंडर संगम पर आस्था की डुबकी लगाई। इस मौके पर संगमस्थली कर्णप्रयाग में एक दिवसीय उत्तरायणी मेले का भी समापन हुआ।
उत्तरकाशी में मकर संक्रांति के पावन पर्व पर 100 देव डोलियों के साथ 10 हजार श्रद्धालुओं ने भागीरथी (गंगा) में आस्था की डुबकी लगाई। तड़के तीन बजे से शुरू हुए गंगा स्नान का दौरा दिन भर चलता रहा। गोमुख ग्लेशियर से निकलने वाली भागीरथी का हाड़ कंपा देने वाला बर्फीला पानी भी श्रद्धालुओं के उत्साह को को ठंडा नहीं कर पाया। देव डोलियों के साथ बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं आस्था की डुबकी लगाने में पीछे नहीं रहे।
उत्तरकाशी में पौराणिक माघ मेले में मकर संक्रांति के गंगा स्नान का खास महत्व है। इसी कारण मंगलवार को यमुना घाटी, टौंस घाटी, जौनपुर, जौनसार के साथ टिहरी व आस पास के क्षेत्रों से ग्रामीण अपने देव डोलियों के साथ उत्तरकाशी पहुंचे। सुबह तीन बजे से मणिकणिका घाट, जड़भरत घाट, शंकर मठ घाट सहित आदि घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। गंगा स्नान करने वाली कंडार देवता की डोली, हरिमहाराज के ढोल व खंडद्वारी देवी की डोल, बुढ़ाकेदार के गुरू कैलापीर देवता, राजराजेश्वरी देवी चिन्यालीसौड़, भद्रकाली देवी बड़थी, सुकंडा देवी कंडीसौड़, भोले नाथ, नागणी माता, नागराज देवता श्रीखाल, सिद्धेश्वर देवता बंचौरा, जाखणी देव, नाग देवता जोशियाड़ा आदि देव डोलियां थी। डोलियों के साथ ग्रामीणों का भी बड़ा हुजूम उमड़ा। मंगलवार को इस पर्व पर उत्तरकाशी मिनी कुंभ की तरह नजर आया। गंगा घाटों से लेकर सड़क गलियां तथा मंदिरों के दर तक ढोल नगाड़े और शंख की ध्वनि से गूंज उठे। ढोल की थाप पर जगह-जगह स्थानीय लोगों ने पारंपरिक गीतों पर नृत्य भी किया।