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स्पेन की अनाम चोटी को मिला 'मजिस्ट्रेट टॉप' और रूट को 'आशीष' नाम

उत्तरकाशी के पूर्व जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के नाम पर स्पेन की एक अनाम चोटी तक जाने वाले रूट को आशीष और चोटी को मजिस्ट्रेट टॉप नाम दिया गया है

By Edited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 10:17 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 06:04 PM (IST)
स्पेन की अनाम चोटी को मिला 'मजिस्ट्रेट टॉप' और रूट को 'आशीष' नाम
स्पेन की अनाम चोटी को मिला 'मजिस्ट्रेट टॉप' और रूट को 'आशीष' नाम

उत्तरकाशी, जेएनएन। उत्तरकाशी के पूर्व जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के नाम पर स्पेन की एक अनाम चोटी तक जाने वाले रूट को 'आशीष' और चोटी को 'मजिस्ट्रेट टॉप' नाम दिया गया है। वर्तमान में नागरिक उड्डयन विभाग में अपर सचिव डॉ. चौहान ने स्वयं यह जानकारी साझा की। बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने उत्तरकाशी में स्पेन के पर्वतारोही अंटोनियो की छोटी-सी मदद की थी। 

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स्पेन वापस लौटने के बाद भी अंटोनियो बराबर उनके संपर्क में रहे। 15 अगस्त को अंटोनियो ने मोबाइल पर जानकारी दी कि उन्होंने स्पेन में एक अनाम चोटी का आरोहण किया है। इस चोटी की फोटो भी उन्होंने साझा की। अंटोनियो ने बताया कि चोटी और चोटी तक जाने वाले रूट के नामों का पंजीकरण कराने के लिए वो कागजी कार्यवाही भी कर रहे हैं। डॉ. चौहान कहते हैं कि एक छोटी-सी मदद का उन्हें इतना बड़ा सम्मान मिलेगा, इसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी।
दरअसल, आशीष चौहान ने उत्तरकाशी में बतौर जिलाधिकारी स्पेनिश पर्वतारोही एंटोनियो की काफी मदद की थी। उन्हें उस मदद के लिए सम्मान का हक अदा किया गया है।
फिर आबाद होगी गर्तांगली 
रोमांच के शौकीनों के लिए उत्तराखंड से अच्छी खबर आई है। दुनिया के खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार गर्तांगली 45 साल के लंबे इंतजार के बाद पर्यटन के नक्शे पर आने जा रही है। गंगोत्री नेशनल पार्क में मौजूद होने के कारण इसे विकसित किए जाने में तमाम औपचारिकताएं बाधा बन रहीं थीं। अब वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की बाधा दूर हो गई है। 
कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहे मार्ग पर पड़ने वाले पहाड़ पर उकेरा गया यह पुराना मार्ग पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराएगा। उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने इस सिलसिले में लोक निर्माण विभाग को शुक्रवार को एनओसी जारी कर दी। गर्तांगली का निर्माण पेशावर से आए पठानों ने पहाड़ी चट्टान को किनारे से काटकर किया था। वर्ष 1975 तक सेना भी इसका उपयोग करती रही, मगर बाद में इसे बंद कर दिया गया था। अब इसके दुरुस्त होने पर इसे ट्रैकिंग और पर्यटन के लिहाज से खोला जाएगा।

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