तिलोथ पुल निर्माण की हर पांच दिन में दें प्रगति रिपोर्ट
जिलाधिकारी कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित तिलोथ पुल का निर्माण छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका जो कि लोनिवि के अधिकारियों की नाकामी का सुबूत है। वर्ष 2013 की आपदा में यह पुल टूट गया था। मंगलवार को जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने इस पुल का निरीक्षण किया। साथ ही पुल निर्माण की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त की। जिलाधिकारी ने पुल निर्माण में श्रमिकों की संख्या बढ़ाने और हर पांच दिन में प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश लोनिवि के अधिकारियों को दिए।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : जिलाधिकारी कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित तिलोथ पुल का निर्माण छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका, जो कि लोनिवि के अधिकारियों की नाकामी का सुबूत है। वर्ष 2013 की आपदा में यह पुल टूट गया था। मंगलवार को जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने इस पुल का निरीक्षण किया। साथ ही पुल निर्माण की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त की। जिलाधिकारी ने पुल निर्माण में श्रमिकों की संख्या बढ़ाने और हर पांच दिन में प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश लोनिवि के अधिकारियों को दिए।
उत्तरकाशी और तिलोथ के बीच भागीरथी नदी पर 102 मीटर लंबे स्पान का मोटर पुल लगा था, जिसका 42 मीटर हिस्सा वर्ष 2013 की आपदा में टूटकर बह गया था। इस स्थान पर अस्थायी व्यवस्था के लिए वेली ब्रिज बनाया। लेकिन, इस ब्रिज में वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित है। जबकि यह पुल बाड़ागड्डी, लंबगांव तथा केदारनाथ मार्ग को भी जोड़ता है। 42 मीटर लंबे स्पान वाले हिस्से के नवनिर्माण के लिए लोनिवि ने वर्ष 2014 में 8.39 करोड़ का एस्टीमेट तैयार किया था। वर्ष 2016 में इसका निर्माण भी शुरू हुआ। पर, जून 2018 से इस पुल पर कुछ भी निर्माण नहीं हो पाया। इस आधे पुल को बनाने के लिए लोनिवि के इंजीनियरों ने वेल फाउंडेशन का नक्शा तो बनाया। लेकिन हार्ड-राक के रेट तय होने को लेकर लोनिवि और ठेकेदार के बीच विवाद चला। वर्ष 2020 में नया अनुबंध हुआ। तब से धीमी गति से पुल का निर्माण चल रहा है। गत फरवरी में लोनिवि ने मई 2022 तक पुल तैयार करने का दावा किया था। लेकिन, अभी पुल का काफी निर्माण बाकी है। लोनिवि के अधिकारी इस पुल निर्माण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।