Move to Jagran APP

ये मनोरम घाटी बन रही देशी-विदेशी परिंदों की पहली पसंद, जानिए

गंगा घाटी देशी-विदेशी परिंदों की पहली पसंद बनी हुर्इ है। यही वजह है कि घाटी सालभर इन मेहमानों से गुलजार रहती है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 07:26 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 05:24 PM (IST)
ये मनोरम घाटी बन रही देशी-विदेशी परिंदों की पहली पसंद, जानिए
ये मनोरम घाटी बन रही देशी-विदेशी परिंदों की पहली पसंद, जानिए

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: तराई के मैदान ही नहीं, उच्च हिमालय की वादियां भी सालभर देशी-विदेशी परिंदों से गुलजार रहती हैं। खासकर गंगा-यमुना व असी गंगा घाटी तो उनकी पहल पसंद है। लेकिन, प्रचार-प्रसार के अभाव में प्रकृति के इस खूबसूरत खजाने के दीदार से पर्यटक आज तक महरूम हैं। हालांकि, अब यहां बर्ड वॉचिंग पर्यटन पंख फैलाने की तैयारी में है। बीते सप्ताह असी गंगा घाटी के कफलो में आयोजित नेचर गाइड प्रशिक्षण के दौरान एक किमी के ट्रेल पर 90 प्रजाति के परिंदों का दीदार हुआ। इससे बर्ड वॉचिंग के शौकीन काफी उत्साहित हैं। 

loksabha election banner

उत्तरकाशी जिले की गंगा, यमुना, टोंस व असी गंगा घाटी और नचिकेताताल, डोडीताल, दयारा बुग्याल, हर्षिल व चिन्यालीसौड़ के आसपास के क्षेत्रों में वर्षभर देशी-विदेशी परिंदों की भरमार रहती है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मोनाल, काल्हक फाख्ता, हिमालयी गिद्ध, पनथिरथिर, सीसिया पनथिरथिर, कर्णभेदी, हिमालयन बुलबुल जैसे परिंदे आसानी से नजर आ जाते हैं। 

बर्ड वॉचिंग का प्रशिक्षण ले चुके अगोड़ा गांव के बलवीर सिंह पंवार बताते हैं कि अकेले असी गंगा घाटी में ही परिंदों की 200 से अधिक प्रजाति निवास करती हैं। इनमें राज्य पक्षी मोनाल भी शामिल है। चिन्यालीसौड़ के आसपास पंरिदों की 150 से अधिक प्रजाति चिह्नित की गई हैं। मोरी ब्लॉक की हरकीदून, रुपिन व सुपिन घाटियां भी परिंदों से गुलजार रहती हैं। इनमें नदियों के आसपास और घने जंगलों में प्रवास करने वाले पक्षी भी शामिल हैं।

नए व्यवसाय के रूप में उभर रहा बर्ड वाचिंग 

नंदा देवी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. सुनील कैंथोला बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में बर्ड वॉचिंग एक नए व्यवसाय के रूप में उभर रहा है। यह भविष्य में स्वरोजगार का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा। उत्तरकाशी में असी गंगा समेत कई घाटियों में बर्ड वॉचिंग और छोटे ट्रैक के लिहाज से महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल बनाए जा सकते हैं। लेकिन, इस मुहिम को ईमानदारी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। 

इन परिंदों से गुलजार रहती हैं वादियां 

बर्ड वॉचिंग के जानकार अजय शर्मा बताते हैं कि असी गंगा घाटी के एक किमी क्षेत्र में कुल 90 प्रजाति के पक्षी चिह्नित किए गए। इनमें फिश आउल, लॉफिंग थ्रश, हिमालयन ब्ल्यू टेल, रेड बुल फिंच, व्हाइट रंपड मुनिया, नेपाल रेन बब्बलर, चेस्टनट हेडेड, कॉमन क्रो, हिमालयन ग्रिफ्फिन वल्चर आदि प्रमुख हैं।

जबकि उत्तरकाशी की वादियों में मोनाल, बगुला, काल्हक फाख्ता, हिम तीतर, हिमालयी गिद्ध, लंब पुछिया, पहाड़ी राजालाल, कलजेठ कस्तूरा, पनथिरथिर, रामगंगरा, सफेद खंजर, हरी तूती, सीसिया पनथिरथिर, भूरा डूंगल, बर्फ कुक्कुट, कर्णभेदी, हिम कबूतर, मोनाल, जल मुर्गी, हिमालयी बुलबुल, पैराडाइज फ्लाइकैचर जैसे परिंदों की भरमार है।

यह भी पढ़ें: मधुमक्खी घोल रही जीवन में मिठास, शहद से संवरी परिवार की किस्मत

यह भी पढ़ें: इस आइएएस दंपती ने अपने बेटे का आंगनबाड़ी केंद्र में कराया दाखिला

यह भी पढ़ें: राजीव ने शुरू की विदेशी फूलों की खेती, अब कमा रहे हैं लाखों


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.