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विदेशी पर्वतारोहियों ने रस्सी के सहारे की उड़नकौल ट्रैक पर ट्रैकिंग

उत्तरकाशी की ट्रैकिंग एजेंसी माउंट हाई विंड ट्रैकिंग एंड माउंटेनियरिंग के नेतृत्व में जर्मनी के इस्ट्र डिटल्फ एंथन व कार्ल हान्स ने उड़नकौल ट्रैक पर सफलतापूर्वक ट्रैकिंग की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 11:10 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 05:16 PM (IST)
विदेशी पर्वतारोहियों ने रस्सी के सहारे की उड़नकौल ट्रैक पर ट्रैकिंग
विदेशी पर्वतारोहियों ने रस्सी के सहारे की उड़नकौल ट्रैक पर ट्रैकिंग

उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गंगोत्री हिमालय के सबसे ऊंचाई वाले दूसरे नंबर के उड़नकौल ट्रैक पर सीजन के पहले ग्रुप ने सफलतापूर्वक ट्रैकिंग की है। इस अभियान में जर्मनी के दो ट्रैकर शामिल थे। जर्मनी में ट्रैकिंग का काम करने वाले इस्ट्र डिटल्फ एंथन ने बताया कि उड़नकौल ट्रैक किसी पर्वतारोहण अभियान से कम नहीं है। इसलिए अगले वर्ष वे ग्रुप के साथ इस ट्रैक पर जाएंगे।

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उत्तरकाशी की ट्रैकिंग एजेंसी माउंट हाई विंड ट्रैकिंग एंड माउंटेनियरिंग के नेतृत्व में जर्मनी के इस्ट्र डिटल्फ एंथन व कार्ल हान्स ने गंगोत्री से 20 मई को अपना अभियान शुरू किया था। गंगोत्री से यह दल रुद्रगैरा, नाला कैंप होते हुए समुद्रतल से 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उड़नकौल पास पहुंचा। यहां से दल खतलिंग ग्लेशियर के लिए आगे बढ़ा। लेकिन, ग्लेशियर के निकट करीब 250 मीटर के दायरे में बड़े-बड़े क्रेवास होने के कारण दल को रस्सी के सहारे आगे बढ़ना पड़ा।

यहां से दल मयाली पास पहुंचा। लेकिन, आगे अधिक बर्फबारी होने के कारण दल वहीं से भिलंगना नदी के उद्गम स्थल होते हुए गंगी लौट आया। शनिवार का यह दल उत्तरकाशी पहुंचा। 

ट्रैकिंग एजेंसी माउंट हाई विंड ट्रैकिंग एंड माउंटेनियरिंग के संचालक जयेंद्र राणा बताते हैं कि गंगोत्री से खतलिंग ग्लेशियर को जोड़ने वाला प्रसिद्ध उड़नकौल ट्रैक कालिंदी ट्रैक के बाद दूसरा सबसे ऊंचा ट्रैक है। हालांकि, यह काफी तकनीकी ट्रैक है। इसलिए इस ट्रैक को पर्वतारोहण अभियान से कम नहीं समझा जाता।

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