धराशायी होने की कगार पर उत्तर भारत का पहला स्मार्ट शौचालय, जानिए
उत्तर भारत का पहला स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय धराशायी होने की कगार पर है। इसकी वजह बन रहा है शौचालय के पीछे स्थित पहाड़ी से हो रहा भूस्खलन।
उत्तरकाशी, ओंकार बहुगुणा। सीमांत उत्तरकाशी जिले की यमुनाघाटी में 18 लाख की लागत से बना उत्तर भारत का पहला स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय (इंटेलिजेंट पब्लिक टॉयलेट) धराशायी होने की कगार पर है। इसकी वजह बन रहा है शौचालय के पीछे स्थित पहाड़ी से हो रहा भूस्खलन। हालांकि, बड़कोट पालिका प्रशासन इसकी वजह कार्यदायी कंपनी टाटा नेस्ट की ओर से पालिका के हैंडओवर न किया जाना बता रहा है।
देश में स्वच्छता के प्रति जागरुकता लाने की कड़ी में नगर पालिका बड़कोट की ओर से लगभग दो माह पूर्व यमुनोत्री हाइवे पर महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय बनवाए गए थे। इनका निर्माण केरल की टाटा नेस्ट कंपनी ने रिकॉर्ड 20 दिन के अंतराल में किया।
बड़कोट में दोबाटा नाले के पास जहां यह शौचालय बनाया गया है, वहां यात्राकाल में यात्रियों का पंजीकरण होने के कारण भारी भीड़ रहती है। लेकिन, अफसोस कि उपयोग में लाने से पूर्व ही यह शौचालय धराशायी भी होने लगा है। दरअसल, शौचालय के पीछे की पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन के कारण इसकी दीवारों को भारी नुकसान पहुंचा है। साथ ही देखरेख के अभाव में शौचालय के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी शरारती तत्वों ने तोड़ डाले हैं।
विदित हो कि यह शौचालय पूरी तरह ऑटोमेटिक है। शौचालय को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसका उपयोग करने के बाद वहां फ्लश की सफाई भी अपने आप हो जाएगी। इससे शौचालय हमेशा साफ-सुथरा रहेगा। इसके लिए प्रति यात्री पांच रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। भुगतान को शौचालय के बाहर एक बॉक्स के अलावा स्वैप मशीन भी लगाई गई है।
बॉक्स में सीधे रकम डाली जा सकती है, जबकि स्वैप मशीन पर एटीएम के जरिये भुगतान करना होगा। इसी के बाद शौचालय का दरवाजा खुलेगा। भीतर से मैन्युअल लॉकिंग होने के कारण शौचालय में किसी व्यक्ति के फंसने का डर भी नहीं है। लेकिन, विडंबना देखिए कि शुरू होने से पूर्व ही यह जिम्मेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया।
बोले अधिकारी
- अमरजीत कौर (अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद बड़कोट) का कहना है कि शौचालय को अब तक पालिका के हैंडओवर नहीं किया गया है। हालांकि, शौचालय की सुरक्षा के मद्देनजर इसके पीछे दीवार लगाई जा रही है। इसका टेंडर भी हो चुका है।
- अनुराग आर्य (उपजिलाधिकारी बड़कोट उत्तरकाशी) का कहना है कि यह बड़कोट पालिका प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है। परिसंपत्ति पालिका की है और इसकी सुरक्षा एवं रखरखाव की जिम्मेदारी भी पालिका की ही बनती है। पालिका को निर्देशित कर शौचालय की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
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