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गंगा-यमुनाघाटी में मनाया देवलांग

जागरण टीम उत्तरकाशी/बड़कोट जिले के विभिन्न गांव में लोकपर्व देवलांग (दीपावली) धूमधाम से म

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 06:57 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 06:16 AM (IST)
गंगा-यमुनाघाटी में मनाया देवलांग
गंगा-यमुनाघाटी में मनाया देवलांग

जागरण टीम उत्तरकाशी/बड़कोट : जिले के विभिन्न गांव में लोकपर्व देवलांग (दीपावली) धूमधाम से मनाया गया। गंगा घाटी के धनारी पुजारगांव के अलावा रवांई घाटी के गैर, गंगटाड़ी, कुथनौर गांव में बुधवार सुबह देवलांग यह पर्व मनाया गया। देवलांग पर्व को मनाने के लिए मंगलवार रात को ही लोग गैर बनाल, गंगटाड़ी पहुंच गए थे। इस मौके पर ग्रामीणों में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद पारंपरिक नृत्य किया। बुधवार तड़के एक पेड़ पर बांधे चीड़ व देवदार की लकड़ी के छिल्लों पर आग लगाई गई। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को देवलांग की बधाई दी।

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प्राचीन मान्यता के अनुसार महाभारत के युद्ध में रवांई घाटी के बनाल को भी शामिल करने का निमंत्रण प्राप्त हुआ था। बनाल का बंटवारा भी दो थोकों में हुआ। जो क्षेत्र कौरवों के साथ था वो साटी और जो पांडवों के साथ हुआ उसे पानसाही थोक कहा गया। उस धर्म युद्ध के अंश को आज भी बनाल के देवलांग पर्व में दिखने को मिलते हैं। देवलांग पर्व की पहली रात्रि के अंतिम पहर में दोनों थोकों के लोग अपने आराध्य देव राजा रघुनाथ के मंदिर में पहुंचे। जहां सांकेतिक युद्ध अभ्यास का नृत्य किया गया। बुधवार सुबह को देव वृक्ष पर बांधे गए छिलकों पर आग लगाई गई और रासों, तांदी नृत्य किया गया। मंगलवार की रात को गायक रेश्मा शाह, सौरभ मैठाणी व सुन्दर प्रेमी ने गीतों की प्रस्तुति दी।

यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत ने कहा कि पौराणिक मेले हमारी धरोहर हैं उन्हे बचाए रखना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कार्यक्रम स्थल के सौंदर्यकरण के लिए हर संभव सहयोग का भरोसा दिया। नव निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने कहा कि इस मेले को विश्व पटल पर लाने के लिए जिला पंचायत पूरा प्रयास करेगी। इस मौके पर देवलांग पर्व राजकीय मेला समिति के अध्यक्ष प्रदीप गैराला, जिपं सदस्य पूनम थपलियाल, प्रकाश असवाल आदि मौजूद थे। रवांई घाटी में यह पर्व गैर, गंगटाड़ी, स्वील व कुथनौर में मनाया गया। जबकि गंगा घाटी में देवलांग पर्व पर देव वृक्षों को मंगलवार की रात को काटा गया। इन वृक्ष की रात भर पूजा अर्चना होती रही। बुधवार की दोपहर को इन पेड़ों को गांव में लाया गया। जिसके बाद देवलांग की पूजा शुरू हुई। देव वृक्षों के बीच में बांधे गए छिलकों पर आग लगाई गई। देव वृक्ष से महिलाओं ने मन्नतें मांगी।


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