Azadi Ka Amrit Mahotsav: उत्तराखंड के इस गांव में उत्सव जैसा होता है आजादी का पर्व, PM Modi भी आ चुके है यहां
Azadi Ka Amrit Mahotsav उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के सीमांत गांव बगोरी में आजादी का पर्व उत्सव जैसा होता है। यह ग्रामीण वर्षों से स्वतंत्रता दिवस को सामूहिक रूप से मनाते आ रहे हैं। नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां के ग्रामीणों से मिले थे।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किलोमीटर दूर सीमांत गांव बगोरी में आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) को लेकर उत्साह है। बगोरी गांव के जाड़ एवं भोटिया समुदाय के ग्रामीण वर्षों से स्वतंत्रता दिवस (Independence day 2022) को सामूहिक रूप से मनाते आ रहे हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर होता सामूहिक आयोजन
स्वतंत्रता दिवस ((Independence day 2022)) पर बगोरी गांव में एक लोक पर्व की तरह सामूहिक आयोजन होता है, जिसमें ध्वजारोहण से लेकर मंदिरों में पूजा-अर्चना और महिलाएं लोकनृत्य प्रस्तुत करती हैं। साथ ही सामूहिक रूप से भोज का भी आयोजन होता है।
1962 से पहले नेलांग- जादूंग में मनाते थे स्वतंत्रता दिवस
बगोरी गांव के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा ने बताया कि 1962 से पहले ग्रामीण पीएसी व आर्मी के साथ नेलांग और जादूंग में स्वतंत्रता दिवस (Independence day 2022) मनाते थे। आज भी ग्रामीणों का मन होता है कि कि वे अपने पौराणिक गांव में जाकर स्वतंत्रता दिवस व अन्य त्यौहार मनाएं।
- नेलांग घाटी ( Nelang Valley ) इनर लाइन में होने के कारण वहां जाने की अनुमति लेने की प्रक्रिया काफी जटिल है। इसलिए पिछले 60 साल से ग्रामीण बगोरी गांव में लाल देवता मंदिर परिसर में स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
- इस राष्ट्रीय पर्व (National Festival) को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। बगोरी में सामूहिक आयोजन की संस्कृति अभी बरकरार है।
महिलाएं पारंपरिक परिधान में करती लोकनृत्य
बगोरी गांव की प्रधान सरिता रावत कहती हैं कि स्वतंत्रता दिवस (Independence day 2022) के दिन ग्रामीण सुबह ही छोले-पूरी तैयार करते हैं तथा उन्हें लेकर आयोजन स्थल पर पहुंचते हैं, जिसके बाद गांव की महिलाएं अपने पारंपरिक परिधान में लोकनृत्य प्रस्तुत करती हैं।
- कार्यक्रम के समापन पर बच्चों सहित ग्रामीणों को मिठाई वितरित की जाती है और ग्रामीणों की ओर से तैयार की गई छोले-पूरी का सामूहिक भोज किया जाता हैं।
सीमांत प्रहरी हैं बगोरी के ग्रामीण
सीमांत जनपद उत्तरकाशी की चीन सीमा के निकटवर्ती गांवों में बगोरी गांव भी शामिल है। बगोरी गांव के ग्रामीण सीमा के सजग प्रहरी की भूमिका में हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध (India China War) के दौरान इन ग्रामीणों को अपने पैतृक गांव नेलांग और जादूंग को भारतीय सेना के सुझाव के अनुसार खाली करने पड़े थे।
- तब से जादूंग और नेलांग के 90 परिवार गंगोत्री धाम ( Gangotri Dham ) से 25 किलोमीटर उत्तरकाशी की ओर बगोरी गांव में रह रहे हैं।
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नवंबर 2018 में PM Modi मोदी आए थे बगोरी गांव
इन ग्रामीणों में देश भक्ति को लेकर खासा जज्बा है। नवंबर 2018 में अपने हर्षिल दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) बगोरी गांव में इन ग्रामीणों से मिले थे। वर्तमान में बगोरी में 150 से अधिक परिवार हैं।
इस गांव तक पहुंचने के लिए हर्षिल तक सड़क मार्ग है। हर्षिल से एक किलोमीटर की दूरी पर बगोरी गांव पड़ता है। गंगा घाटी में अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए यह गांव खास पहचान रखता है।