उत्तरकाशी-गंगोत्री के बीच संशय में ऑलवेदर रोड, पढ़िए पूरी खबर
उत्तरकाशी में चुंगी बड़ेथी से लेकर गंगोत्री तक गंगोत्री हाइवे के चौड़ीकरण की कवायद आगे नहीं बढ़ पा रही। पर्यावरणीय कारणों एवं ईको सेंसटिव जोन की शर्तों के कारण पेच फंस है।
उत्तरकाशी, जेएनएन। चुंगी बड़ेथी से लेकर गंगोत्री तक गंगोत्री हाइवे के चौड़ीकरण की कवायद आगे नहीं बढ़ पा रही। पर्यावरणीय कारणों एवं ईको सेंसटिव जोन की शर्तों के कारण अभी ऑलवेदर के लिए भूमि अधिग्रहण, भूमि हस्तांतरण और निर्माण की अनुमति नहीं मिल पाई है। हाई पावर कमेटी तीन दिन तक इन्हीं तमाम पहलुओं के साथ ऑलेवदर के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करेगी।
ऑलवेदर रोड का कार्य गढ़वाल में 25 फीसद से अधिक हो चुका है। उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ से लेकर चुंगी बड़ेथी तक भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई हो चुकी है। गंगोत्री हाइवे पर चिन्यालीसौड़, नालूपानी व चुंगी बड़ेथी के पास निर्माण चल रहा है। इन दोनों स्थानों के अलावा उत्तरकाशी क्षेत्र में निर्माण ने गति नहीं पकड़ी है। जबकि, धरासू-यमुनोत्री हाइवे पर निर्माण की रफ्तार तेज है।
उधर, चुंगी बड़ेथी से लेकर गंगोत्री तक करीब 110 किमी लंबे हाइवे पर अभी ऑलवेदर रोड की कवायद शुरू नहीं हुई है। दरअसल, यह क्षेत्र इको सेंसटिव जोन में आता है। वर्ष 2012 के नोटिफिकेशन के अनुसार गोमुख से लेकर चुंगी बड़ेथी तक भागीरथी नदी के कैचमेंट क्षेत्र को इको सेंसटिव जोन घोषित किया गया था। अब इसका प्रभाव ऑलवेदर रोड पर भी पड़ रहा है।
एनजीटी ने लगाया था दो करोड़ का जुर्माना
गंगोत्री हाइवे पर नालूपानी और चुंगी बड़ेथी में पर्यावरण सुरक्षा एवं गंगा स्वच्छता की निर्माण कंपनियों ने धज्जियां उड़ा दी थी। इससे यात्रियों सहित उत्तरकाशी के लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ी। उत्तरकाशी के चुंगी बड़ेथी के पास तो अवैज्ञानिक ढंग पूरी पहाड़ी काट दी गई, जहां अब भूस्खलन जोन उभर गया है। लेकिन, इस मामले में प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बीते वर्ष गंगा में मलबा डालने के मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने कार्यदायी संस्था पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसी को देखते हुए वन प्रभाग भी हरकत में आया। तब उत्तरकाशी वन प्रभाग की ओर से भी दो लाख रुपये का जुर्माना कार्यदायी संस्था पर लगाया गया।
क्रशर प्लांट के लिए ताक पर नियम
नियमों को ताक पर रखकर गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र के कोर जोन में क्रशर प्लांट लगाने की अनुमति दी गई है। जहां क्रशर लगाने की अनुमति मिली है, वहां कुछ दिनों पहले आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के जवानों ने हिम तेंदुआ को कैमरे में कैद किया था। जाहिर है कोर जोन में क्रशर लगने से हिम तेंदुआ को बचाने की मुहिम को भी झटका लगा है। दरअसल, गंगोत्री नेशनल पार्क में हिम तेंदुआ की सबसे अधिक मौजूदगी है। इसके अलावा यह क्षेत्र भूरा भालू, अगराली भेड़, लाल लोमड़ी, भरल सहित कई संरक्षित प्रजाति के वन्य जीवों का घर भी है। बावजूद इसके शासन ने एक निजी सप्लायर कंपनी को गुपचुप तरीके से क्रशर लगाने की अनुमति दे दी।
हाइवे पर मलबा आ जाने से चार घंटे फंसी रही टीम
हाई पावर कमेटी की टीम को दोपहर 12 बजे तक चंबा पहुंचना था। लेकिन, ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हिंडोलाखाल में मलबा आ जाने से करीब चार घंटे टीम वहीं फंसी रही।
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हाई पावर कमेटी ने किया चुंगी बड़ेथी का निरीक्षण
चारधाम मार्ग परियोजना (आलवेदर रोड) के पर्यावरण संरक्षण को लेकर संस्तुति देने वाली उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी की टीम ने चुंगी बड़ेथी के पास भूस्खलन जोन का निरीक्षण किया। भूस्खलन क्षेत्र की जानकारी के साथ टीम ने डंपिंग जोन की स्थिति के बारे में जानकारी ली। वहीं प्रशासन ने इस कमेटी के दौरे की सूचना से आम लोगों को दूर रखा।
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चारधाम मार्ग परियोजना (आलवेदर रोड) के पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई कार्य लटके पड़े हुए हैं। जिनमें उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच अनुमति का मामला भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ माह पहले आलवेदर के नए कार्यों को लेकर रोक लगाई थी। जिसके बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी संस्तुति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी गठित की। यह हाई पावर कमेटी नरेंद्र नगर, चंबा होते हुए बुधवार की देर शाम को उत्तरकाशी के पहुंची।
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गुरुवार की सुबह को इस हाई पावर कमेटी ने चुंगी बड़ेथी के पास हाईवे चौड़ीकरण के दौरान बने भूस्खलन जोन का निरीक्षण किया। बता दें कि चुंगी बड़ेथी के पास बरसात के समय दो माह तक लगातार भूस्खलन होता रहा था। जिससे निर्माण कंपनी के कार्यशैली पर भी सवाल उठे थे। चुंगी बड़ेथी के बाद हाई पावर कमेटी धरासू, नालूपानी के अलावा धरासू यमुनोत्री हाईवे पर हो रहे आलवेदर निर्माण व सुरंग निर्माण का भी निरीक्षण करेगी। इस मौके हाई पावर कमेटी के चेयरमैन प्रो. रवि चोपड़ा, वन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, भारतीय मृदा संस्थान एवं जल संरक्षण के प्राचार्य डॉ. डीवी सिंह, वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल, वैज्ञानिक वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एस सत्य कुमार, वैज्ञानिक डा. अनिल शुक्ला, जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान, डीएफओ संदीप कुमार आदि मौजूद थे।
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