कृष्ण की छवि ने आदी के मन में जगाया योग
यह सनातनी संस्कृति का ही प्रभाव है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण के चित्र को देखकर अमेरिका निवासी आदी के मन में योग का भाव जागृत हो उठा।
संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी: यह सनातनी संस्कृति का ही प्रभाव है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण के चित्र को देखकर अमेरिका निवासी आदी के मन में योग का भाव जागृत हो उठा। इसके बाद उन्होंने योग को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और अब तक योग के माध्यम से अमेरिका में लगभग सौ लोगों को स्वस्थ कर चुके हैं।
उत्तरकाशी जिले में भटवाड़ी ब्लॉक के गंगोरी स्थित होम स्टे 'हिल ड्यू' में ठहरे अमेरिका निवासी आदी ने बताया कि उनके जीवन में योग की अहम भूमिका है। जब वह 16 साल के थे, तब उनकी चौखट पर एक स्वामी आए। दरवाजा खोलने पर स्वामी ने उन्हें एक पुस्तक भेंट की और फिर वहां से चले गए। आज तक भी उन्हें मालूम नहीं कि वह स्वामी कौन थे। बताया कि पुस्तक का पन्ना खोलने पर सबसे पहले उनकी नजर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर पड़ी। चित्र को देखते ही वह फूट-फूटकर रोने लगे। करीब एक घंटे रोने के बाद वह पद्मासन की मुद्रा में बैठ गए। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है।
बताया कि तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के बारे में नेट और सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक जानकारी जुटानी शुरू की। इससे उन्हें अनुभूति हुई कि योग मनुष्य के लिए कितना जरूरी है। फिर तो उन्होंने योग को जीवन का हिस्सा ही बना लिया। बताया कि वर्ष 1991 से वह योग सीखने लगे और अमेरिका में ही योगाचार्य बन गए। वर्ष 2005 से वह लोगों को योग की शिक्षा देने लगे और अब तक लगभग सौ लोगों को स्वस्थ्य कर चुके हैं।
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आध्यात्म की ओर अग्रसर
आदी ने बताया कि योग ने उन्हें आध्यात्मिक बना दिया। इसी की बदौलत वह वर्ष 2017 में भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या गए। वहां जब उन्होंने सरयू नदी में डुबकी लगाई तो पानी के अंदर हनुमानजी की मूर्ति मिली। उसे वह अपने साथ ले आए और तब से उसकी विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2019 में वह पैदल ही चारधाम की यात्रा कर चुके हैं। उत्तरकाशी जिले की यह उनकी दूसरी यात्रा है।