जल संग्रहण को बनाया जियो टैंक
संवाद सूत्र, नौगांव: नई तकनीकी से बनाया जियो टैंक यदि सही साबित हुआ तो इससे काश्तकारों को कम खर्च, स
संवाद सूत्र, नौगांव: नई तकनीकी से बनाया जियो टैंक यदि सही साबित हुआ तो इससे काश्तकारों को कम खर्च, समय की बचत के साथ ही खेतों में आसानी से ¨सचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकती है। आसान विधि से बनने वाला जियो टैंक शोध के अनुसार ट्रायल वेश पर हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) परिसर में बना लिया है। यदि इसके सही परिणाम सामने आते हैं, तो आने वाले दिनों में यह टैंक बागेश्वर जिले के पांच गांवों में बनाया जाएगा।
हार्क सचिव महेन्द्र ¨सह कुंवर ने बताया कि यह एक ऐसी तकनीकी है इसका किसान स्वयं निर्माण कर जगह-जगह पानी को रोक कर इसको उपयोगी बना सकते हैं। हिमालय क्षेत्र संवेदनशील भौगोलिक संरचना है, यहां बरसात के समय भूमि धंसाव एवं भूर्गभीय हलचलें आनी आम बात हो गई है। इससे जल स्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं।
दूसरी ओर जल आपूर्ति की मांग भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसका अत्यधिक प्रभाव कृषि क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। इसके साथ भूमि धंसाव के कारण सीमेंट से बनी संरचनाएं जल संग्रहण के लिए स्थाई समाधान भी नहीं है। जिसके लिये जरूरी है की जल के सीमित संसाधनों का समुचित वैज्ञानिक तरीके से उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि पिछले दो दशकों से जल संग्रहण की सस्ती एवं उपयोगी तकनीकों का विकास हुआ है। और उनका प्रयोग भी हो रहा है। लेकिन जागरूकता व रुझान की कमी से इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसी प्रयास में हार्क के सहयोग से जल संग्रहण की नई तकनीक से बनाया गया जियो टैंक है। इसका निर्माण हार्क परिसर में कर दिया गया है। यह टैंक भूकंप और भूस्खलन से बचने के लिए इसकी समतल जगह जमीन की ऊपर बनता है। और इसकी लागत करीब तीन रुपये पच्चास रूपये प्रतिलीटर के हिसाब से शुरु में 15 से 20 हजार तक है जो धीरे-धीरे आवश्यकता बढ़ने पर बाद में सस्ती होगी। और इसमें विशेष बात यह है कि यह चार घंटे में तैयार हो जाता है। इसके बनने में बहुत कम परिश्रम की आवश्यकता होती है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर इसे अन्य जगह स्थानानंतरण भी किया जा सकता है। बरसात में भी आसानी से इसमें जल संग्रहण भी किया जा सकता है। जो आने वाले समय में सेब व सब्जियों के काश्तकारों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित हो सकता है।