उच्च हिमालय से तलहटी में उतरने लगे प¨रदे
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी सर्दी हो गर्मी, उत्तरकाशी पर्यटकों के लिए सबसे मुफीद स्थल है। यहां हर
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी
सर्दी हो गर्मी, उत्तरकाशी पर्यटकों के लिए सबसे मुफीद स्थल है। यहां हर मौसम में प्रकृति ने खुले मन से नेमतें बिखेरी हैं। आप चाहें तो इन दिनों भी नीले आसमान के नीचे चटख धूप में भागीरथी नदी के किनारे प¨रदों का रंगीन संसार निहार सकते हैं। खासकर मनेरी भाली जल-विद्युत परियोजना प्रथम व द्वितीय की झील तो इन दिनों जल मुर्गी समेत तमाम प्रजातियों के प¨रदों का बसेरा बनी हुई हैं।
शीतकाल में भागीरथी नदी के किनारे रंग-बिरंगे प¨रदों के कलरव से गुंजायमान रहते हैं। इस दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्रों की झीलों में रहने वाले प¨रदे भी यहां प्रवास के लिए पहुंच जाते हैं। पिछले कुछ सालों में इनकी आवक खासी बढ़ गई है। सबसे अधिक प¨रदे मनेरी भाली प्रथम परियोजना की झील में पहुंच रहे हैं। जबकि, जोशियाड़ा के निकट स्थित झील में कई तरह के जलीय पक्षी मौजूद हैं। इसी तरह असी गंगा घाटी में भी खूबसूरत नीलकंठ से लेकर राज्य पक्षी मोनाल तक का दीदार आसानी से हो जाता है।
प्रभागीय वनाधिकारी उत्तरकाशी संदीप कुमार कहते हैं कि शीतकाल के दौरान बड़ी संख्या में प¨रदे उच्च हिमालयी क्षेत्र से उत्तरकाशी प्रवास पर आ जाते हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों को इन प¨रदों के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है। बर्ड वा¨चग एक अच्छा ईको टूरिज्म है। इसके लिए प्लान तैयार किया जाएगा, ताकि स्थानीय युवाओं को बर्ड वा¨चग के लिए गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जा सके।
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इन पक्षियों का होता है दीदार
जल मुर्गी, सुर्खाब, गर्गानेय डक, स्पॉट बैलड डक, लिटिल ग्रैब, जंगली मुर्गी, मुर्गी, तीतर, प्लम हेडेड पैरेट, स्प्रेडड डव, ग्रीन बीटर, कठफोड़वा, हुदहुद, हिमालयन बुलबुल, रेड वेंटेड बुलबुल, जंगल बबलर, पैराडाइज फ्लाइ कैचर, वेरिडेटर फ्लाइ कैचर, रूफस ट्री पाई, सनबर्ड, कॉमन ¨कगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड ¨कगफिशर आदि।