उत्तराखंड बोर्ड: 12वीं की टॉपर शताक्षी तिवारी बनाना चाहती है खगोल शास्त्री
उत्तराखंड 12वीं बोर्ड में पहला स्थान प्राप्त करने वाली शताक्षी तिवारी खगोल शास्त्री बनाना चाहती है। शताक्षी ने खगोल भौतिकी क्षेत्र में जाने का लक्ष्य बनाया है।
उत्तरकाशी, जेएनएन। उत्तराखंड 12वीं बोर्ड में पहला स्थान प्राप्त करने वाली शताक्षी तिवारी खगोल शास्त्री बनाना चाहती हैं। खगोल विज्ञान में शताक्षी तिवारी ने खगोल भौतिकी क्षेत्र में जाने का लक्ष्य बनाया है। 98 फीसद प्राप्त कर राज्य स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने के पीछे शताक्षी की कड़ी मेहनत और पक्की लगन है। स्कूल जाने आने में शताक्षी ने हर दिन 34 किलोमीटर का सफर तय करती थी। इस सफर में भी शताक्षी ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। गाड़ी में आने और जाने में लगने वाले 90 मिनट का भी शताक्षी ने पूरा सदुपयोग किया है।
दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए शताक्षी तिवारी ने कहा कि उसने सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज कंडीसौड़ से 2017 में हाईस्कूल किया। तब उसके 86.6 फीसद नंबर पाए थे। भाई अभिमन्यु ने 11वीं में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज शक्तिपुरम चिन्यालीसौड़ में प्रवेश लेने को प्रेरित किया। शताक्षी ने बताया कि उसकी मां सुनीता तिवारी सीएचसी कंडीसौड़ में सुपरवाइजर हैं तथा पिता अनूप तिवारी मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं। कंडीसौड़ में मां की ड्यूटी होने के कारण उसे हर रोज कंडीसौड़ से चिन्यालीसौड़ टैक्सी में आना जाना पड़ा। बीते वर्ष अगस्त सितंबर में कुछ दिन स्कूटी से भी स्कूल आई। एक दिन स्कूल आते समय वह स्कूटी से फिसली तथा चोटिल हुई।
इसके कारण 10-12 दिनों तक स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। फिर टैक्सी से आना जाना किया। शताक्षी ने बताया कि घर से स्कूल पहुंचने और लौटने में 45-45 मिनट का समय लगता था। इस समय भी मैंने किताबें दूर नहीं रखी। शताक्षी ने कहा कि वह स्कूल के अलावा शाम से रात साढ़े ग्यारह बजे तक पढ़ाई करती थी। फिर सुबह चार बजे से स्कूल तक के समय तक पढ़ाई की है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित की पढ़ाई के लिए हर दिन घर पर दो-दो घंटे का समय दिया। अब वह दून में वीआर क्लासेज से आइआइटी के लिए तैयारी कर रही हैं। वह खगोल भौतिकी क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहती है तथा इसरो में जाना चाहती हैं।
रोजाना 40 किलोमीटर का सफर सिर्फ होता था स्कूल आने-जाने में करना
उत्तराखंड की इंटरमीडिएट की टॉपर शताक्षी ने बताया कि वह रोजाना करीब 20 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए चिन्यालीसौड़ जाती थीं। रोजाना 40 किलोमीटर का सफर सिर्फ स्कूल आने-जाने में करना होता था। उनके परिवार और माता-पिता ने उनका पूरा सहयोग दिया। शताक्षी ने बताया कि वह जेईई मेंस की तैयारी कर रही है। इन दिनों वह देहरादून में रहकर कोचिंग ले रही हैं। शताक्षी का कहना है कि पढ़ाई के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। जहां वह रहती हैं वहां स्कूल या पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधाएं नहीं है। स्कूल जाने के लिए उन्हें रोजाना 40 किमी का सफर करना पड़ता था। माता-पिता और शिक्षकों ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया।
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