मांगों को लेकर आंदोलन करेंगी सीटू व एक्टू से जुड़ी आशाएं
बाजपुर में सीटू व एक्टू से जुड़ी आशा यूनियन अपनी मांगों को लेकर 23 जुलाई से प्रदर्शन करेंगी।
संवाद सहयोगी, बाजपुर : सीटू व एक्टू से जुड़ी आशा यूनियन अपनी मांगों को लेकर 23 जुलाई से पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन करेंगी। यह जानकारी आशा यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप ने ऑनलाइन वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेने के बाद दी गई है।
सीटू से संबद्ध उत्तराखंड आशा, स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियनों व एक्टू से जुड़ी आशा यूनियनों के पदाधिकारियों की ऑनलाइन वर्चुअल बैठक हुई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि सरकार आशाओं से बहुत ज्यादा काम ले रही हैं, परंतु मानदेय के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जा रहा है। उनका इंसेंटिव भी नहीं बढ़ाया जा रहा है। आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा कोरोनाकाल में अपनी बेहतरीन सेवा देने के लिए आशाओं को 10 हजार रुपये प्रोत्साहन देने की घोषणा की थी, लेकिन उनके बाद बने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा इसका कोई संज्ञान नहीं लिया गया। जबकि कई आंदोलन किए गए। वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते हैं कि तत्काल मांगे पूरी की जाएं। रीता कश्यप ने अवगत कराया कि बैठक में तय किया गया है कि 23 जुलाई को ब्लॉक मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए जाएंगे। इसके पश्चात 30 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन होगा। फिर भी मांगों का निस्तारण न होने की दशा में राज्य स्तरीय आंदोलन राजधानी देहरादून में किया जाएगा और अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। बैठक में सीटू के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी, प्रदेश सचिव लेखराज, एक्टू के अध्यक्ष कामरेड केके बोरा, प्रांतीय महामंत्री कैलाश पांडेय, शिवा दुबे, कलावती चंदोला, सुनीता चौहान, पुष्प खंडूरी, अनित अग्रवाल, सरिता, सीमा, शिला, सुलोचना, मंजू गौड़, पूजा अग्रवाल, सविता, प्रमिला राणा, एक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप, इंदिरा देउपा, लीला ठाकुर, मीना आर्या, सरस्वती पुनेठा आदि ने विचार रखे। इनसेट- ये हैं आशाओं की मांगें बाजपुर : आशाओं को भी आंगनबाड़ी की तर्ज पर व न्यूनतम वेतन के बराबर मानदेय देने, ईएसआई का स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने या इसकी तर्ज पर ही स्वास्थ्य बीमा करने, सभी आशाओं को सामाजिक सुरक्षा दिए जाने, विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा आशाओं का शोषण रोकने आदि मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही है।