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..वो धमाके पुलवामा जैसे ही थे

..वो धमाका पुलवामा जैसा था, एक-दो नहीं, 41 लोगों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 04:02 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 04:02 AM (IST)
..वो धमाके पुलवामा जैसे ही थे
..वो धमाके पुलवामा जैसे ही थे

कंचन वर्मा, रुद्रपुर

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..वो धमाका पुलवामा जैसा था, एक-दो नहीं, 41 लोगों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी। उनके क्षत-विक्षत शवों के चीथड़े रामलीला मैदान में दूर तक बिखरे पड़े थे। आतंकियों ने रुद्रपुर शहर के भूतबंगला में यह कोहराम मचाया था। यहां तक कि करीब के अस्पताल तक में साइकिलों में बंधे बम से धमाके किए गए। जैश ए मोहम्मद की तरह ही खालिस्तान नेशनल आर्मी ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। पुलवामा में हुए धमाकों ने 28 साल पहले हुए इन बम धमाकों के जख्म हरे कर दिए हैं।

पंजाब के बाद एक समय तराई आतंकियों का प्रमुख गढ़ था। इसकी बड़ी वजह वन क्षेत्र के साथ ही इसका सिख बाहुल्य होना था। खालिस्तान नेशनल आर्मी के नाम से आतंक फैला रहे लोग यहां जबरन घरों में पनाह लेते थे। स्वर्णा, हीरा और घोड़ा जैसे आतंकियों का खौफ था। घोड़ा के बारे में बताते हैं कि यह आतंकी जितना तेज आगे भागता था, उससे तेज पीछे। 17 अक्टूबर 1991, इसी बेखौफ आतंक का गवाह बना। भूतबंगला रामलीला मैदान में एक के बाद एक कई विस्फोट हुए, जिसमें 41 लोगों की जान गई और डेढ़ सौ से ज्यादा लोग जख्मी हुए। आतंकियों ने इसके लिए पूरी तैयारी की थी। बमों को जमीन में दबाया गया था। पुलवामा की तरह ही यहां भी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी आईईडी का इस्तेमाल किया गया था। यहां तक कि रामलीला ग्राउंड के सामने उस वक्त मौजूद रहे जवाहर लाल नेहरू अस्पताल तक में धमाके हुए। आतंकियों ने यहां साइकिलों में बम बांध रखे थे, ऐसे में उपचार को जो भी अस्पताल की ओर भागा, ढेर हो गया। पुलवामा में गुरुवार को आतंकी हमले के बाद यहां का अतीत लोगों की आंखों में तैर गया। इसी धमाके की तरह रामलीला मैदान में हर तरफ क्षत-विक्षत शव दिख रहे थे। यह उस वक्त का ¨हदुस्तान का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। 30 लोग रामलीला ग्राउंड में जबकि 11 अस्पताल में हुए विस्फोट में मारे गए थे। भले ही आज तराई से आतंकवाद का सफाया हो चुका हो, पर लोगों के जेहन में पुलवामा की घटना से यादें ताजा हो गई हैं। इनसेट-----

अतीत के पन्नों ने नम की आंखें तराई में आतंक के अतीत के पन्नों को पलटते पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ तो भावुक हो गए। बोले, तब उत्तराखंड उत्तरप्रदेश और रुद्रपुर नैनीताल का हिस्सा था। केंद्र में भाजपा विपक्ष में थी, कल्याण ¨सह मुख्यमंत्री हुआ करते थे। मैं मुख्य रामलीला में महामंत्री हुआ करता था। विस्फोट से पहले इसी रामलीला को निशाना बनाने की अफवाह तराई में तैर रही थी। इसी आशंका में वहां फोर्स तैनात था, लेकिन आतंकियों ने रामलीला को निशाना न बनाकर भूतबंगला को टारगेट किया। लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई बड़े नेता यहां आए थे। इनसेट------

प्रताप मार्केट में मारे गए थे आतंकी तराई में आतंक फैलाने वाले यहां प्रताप मार्केट में एक घर में मारे गए थे। दो हजार के दशक में दिल्ली से आए कमांडो ने यहां पुलिस को भनक भी न लगने दी थी। बरेली से चुपचाप कमांडों की टीम ने मकान को घेरकर गोलीबारी की थी जिसमें कई आतंकी मारे गए थे। खुंखार घोड़ा खटीमा में मारा गया था। वहीं गदरपुर में एक सीओ को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था।


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