भरतपुर वालों ने गांव में फटकने नहीं दिया कोरोना
काशीपुर के भरतपुर गांव के लोगों ने कोरोना के खिलाफ पहली लहर से ही सटीक रणनीति तैयार कर ली थी।
जासं, काशीपुर: एक ओर जहां कोरोना शहरों में तबाही मचा रहा है, वहीं, कुछ गांवों में लोगों की जागरूकता के चलते कोरोना प्रवेश तक नहीं कर पाया है। नगर से 12 किलोमीटर दूर भरतपुर भी ऐसा ही एक गांव है। शुरुआती दौर से ही यहां के ग्रामीण अपनी सूझबूझ और नियमों का पालन कर इस महामारी की चपेट में आने से बचे हुए हैं। गांव में पहली लहर में वायरस अटैक नहीं कर पाया। दूसरी लहर में भी अब तक कोई केस नहीं निकला।
दरअसल, जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों ने पहली लहर के दौरान ही कोरोना से जंग को कमर कस ली थी। साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया गया। गांव की आबोहवा और ग्रामीणों की संतुलित दिनचर्या ने सुरक्षा कवच का काम किया। भरतपुर की आबादी लगभग सात सौ है। ग्राम प्रधान हुकम सिंह, उपप्रधान जसवीर सिंह महामारी से लड़ने के लिए आज भी शिद्दत के साथ ग्रामीणों को जागरूक करते नजर आते हैं। बाहर से आने वालों को होम आइसोलेशन में रखा जाता है। कोरोना फैलने के शुरुआती दिनों में ही हमने गांव की साफ-सफाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया। समय-समय पर गांव को सैनिटाइज किया गया। यह क्रम आज भी चल रहा है। विद्यालयों की साफ-सफाई की गई।
- हुकम सिंह, ग्राम प्रधान
-------------- कोरोना की पहली लहर के दौरान ही गांव वाले सतर्क हो गए थे। हम लोगों ने मिलकर इस वायरस से लड़ने की ठानी। सभी ने योजना बनाकर कार्य किया। ग्रामीणों का भी इसमें विशेष सहयोग रहा।
- जसवीर सिंह, उप प्रधान
---------- गांव की आबोहवा स्वच्छ होती है। पेड़-पौधे होने के कारण यहां ऑक्सीजन लेवल भी बेहतर रहता है। ग्रामीण शुद्ध अनाज और खेतों की ताजा सब्जी का उपयोग करते हैं। यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- डा. हेम सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता
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ग्रामीण समझ चुके हैं कि कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता और एहतियात बरतना ही एकमात्र कारगर हथियार है। इसलिए सरकारी गाइडलाइन के पालन में कोई लापरवाही नहीं बरती जातीं।
-सुरेंद्र सिंह उर्फ पप्पू, सामाजिक कार्यकर्ता