किसान बिल पारित होने पर किसानों में आक्रोश
बाजपुर में लोकसभा में 17 सितंबर को किसान बिल पारित होने के बाद किसानों में आक्रोश है।
संवाद सहयोगी, बाजपुर : लोकसभा में 17 सितंबर को किसान बिल पारित होने के बाद किसानों में आक्रोश है। वहीं एनडीए गठबंधन में शामिल शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा मोदी सरकार से इस्तीफा देने का किसानों ने स्वागत किया। साथ ही अन्य मंत्रियों और सांसदों से भी इस्तीफे की मांग की।
भारतीय किसान यूनियन के प्रांतीय कोषाध्यक्ष दलजीत सिंह रंधावा ने भी देश के लोगों से राजनीति से ऊपर उठाकर किसानों के समर्थन में आगे आने को कहा। उन्होंने कहा कि यह समय किसानों को बर्बादी से बचाने का है, यदि देश के किसान बचेंगे तभी कोई राजनीति कर पाएगा। इसी प्रकार अन्य किसानों ने भी विधेयक के विरोध में आवाज बुलंद की। कृषक संजय चौधरी ने बताया कि लोकसभा में पारित किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 और मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता बिल-2020 किसान विरोधी हैं, जो लोग इसमें अच्छाइयां ढूंढ रहे हैं उन्हें दूसरे पहलुओं पर भी चितन करना चाहिए। सरकार का तर्क है कि इससे प्राइवेट इन्वेस्टर्स को व्यापार करने में आसानी होगी और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी, लेकिन किसान को इससे कोई लाभ नहीं होने वाला है। भारतीय मजदूर किसान संगठन के जिलाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह डोगरा ने कहा कि इन विधेयकों से किसानों को सबसे बड़ी चिता न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है, क्योंकि जिस हिसाब से सरकार कदम बढ़ा रही है, किसानों को भय है कि सरकार समर्थन मूल्य खत्म करने जा रही है। यह भी कहा कि इस बिल से कमीशन एजेंटों को का बोलबाला होगा तथा ईस्ट इंडिया कंपनी की भांति बड़े व्यापारी किसानों की जमीन पर उन्हें मजदूर बनाकर खेती करवाएंगे और जो रेट तय हो जाएगा उसी के हिसाब से उसे निर्धारित मात्रा की उपज ही कंपनी को देनी होगी, अतिरिक्त उपज औने-पौने दामों में ही बेचनी पड़ेगी।