भविष्य में जरुरत के हिसाब से करें उत्पादन
पंतनगर में छात्र संगठन एग्रीविजन के तत्वावधान में आत्मनिर्भर भारत में कृषि व युवाओं की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में जरूरत के हिसाब से उत्पादन व बीजों के निर्यात पर जोर दिया गया।
संवाद सूत्र, पंतनगर : छात्र संगठन एग्रीविजन के तत्वावधान में आत्मनिर्भर भारत में कृषि व युवाओं की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में जरुरत के हिसाब से उत्पादन व बीजों के निर्यात पर जोर दिया गया। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि देश में कृषि तकनीक व उन्नत प्रजातियां हैं। इसलिए भविष्य को ध्यान में रखकर तिलहन, दलहन, गेहूं, गन्ना, चावल आदि खाद्यान्न का उत्पादन किया जाना चाहिए। गेहूं- धान का उत्पादन अधिक किया जाता है, जबकि तिलहन व दलहन का कम उत्पादन। ऐसे में इन चीजों का आयात करना पड़ता है। कहा कि खाद्यान्न निर्यात के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का योगदान गेहूं व धान के बीज का निर्यात एक फीसद से कम और सब्जी के बीजों का निर्यात पांच फीसद से कम है। इसे और बढ़ाने की जरुरत है।
देश में कृषि विद्यार्थियों को सबसे बड़ा छात्र संगठन एग्रीविजन के वेबिनार में कृषि मंथन हुआ। वेबिनार में देश के नामचीन कृषि विज्ञानियों ने सुझाव व अनुभव साझा किए। मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि शिक्षा के क्षेत्र में 45 हजार छात्र प्रति वर्ष शिक्षित होकर निकलते हैं। शिक्षा नीति में कमी के कारण शिक्षित युवाओं को रोजगार के लिए परेशान होना पड़ता है। अति विशिष्ट अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत में युवा एवं कृषि' समयानुकूल भी है। वर्तमान में हमारी आवश्यकता व अनिवार्यता भी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि गांवों से शहरों की तरफ युवाओं के पलायन के सिर्फ दो ही मुख्य वजह हैं। इससे पहले एग्रीविजन राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के प्रमुख डॉ. रघुराज किशोर तिवारी ने एग्रीविजन की भूमिका पर प्रकाश डाला। वेबिनार का संचालन पं. गोविद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के संयुक्त निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र तथा एग्रीविजन राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सदस्य प्रोफेसर प्रभा शंकर शुक्ला ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एग्रीविजन के राष्ट्रीय संयोजक गजेंद्र तोमर व स्वागत भाषण भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के वैज्ञानिक डॉ. अमित गोस्वामी तथा एग्रीविजन के राष्ट्रीय सह-संयोजक डॉ. अमित विश्नोई ने प्रस्तुत किया।
.............
देश के विकास के लिए गांवों को बनाना होगा आत्मनिर्भर
विज्ञानियों ने कहा कि कृषि स्नातकों को नौकरी के साथ भूमि को उपजाऊ बनाने की दिशा में सोचना चाहिए। कृषि के क्षेत्र में जब तक काम नहीं होगा। तब तक गांव आत्मनिर्भर नहीं बनेगा। गांव आत्मनिर्भर बनेगा तो देश आत्मनिर्भर होगा। बिहार पशु चिकित्सा विवि पटना में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. रमन त्रिवेदी ने कहा कि गांव में सबसे अधिक मानव संसाधन निवास करता है। फिर भी गांव पिछड़ा है। एग्रीविजन के राष्ट्रीय पालक अधिकारी श्रीनिवास ने कहा कि गांव हमारे देश की बुनियाद है। एग्रीविजन राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सदस्य तथा आइआइटी रुड़की में कृषि-मौसम वैज्ञानिक डॉ. अरविद श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों को अब देश के किसी भी हिस्से में अपना उत्पाद बेचने की सुविधा प्रदान की गई है। वेबिनार में करीब चार सौ विज्ञानी व छात्र शामिल हुए। वेबिनार के दूसरे दिन 'कृषि क्षेत्र में ग्रामीण विकास और संगठित श्रमिकों के लिए संभावनाएं' विषय पर चर्चा की गई। भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय निदेशक मंडल के सदस्य तथा प्रख्यात अर्थशास्त्री सतीश के मराठे, जम्मू कृषि विवि के कुलपति प्रोफेसर जेपी शर्मा, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक तथा उच्च शिक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रभात कुमार ने भी संबोधित किया। आइसीएआर के उप महानिदेशक डॉ. एके सिंह, उप महानिदेशक (शिक्षा) डॉ.आरसी अग्रवाल, महाराणा प्रताप कृषि वि वि उदयपुर के कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिधिया कृषि विवि ग्वालियर के कुलपति प्रो. एसके राव, आइसीएआर के उप महानिदेशक (उद्यान) डॉ. एके सिंह आदि ने विचार रखे।