नई शिक्षा नीति पर पंत विवि को बनाना होगा ब्लू प्रिट
नई शिक्षा नीति पर पंत विवि को ब्लू प्रिंट बनाना होगा।
जासं, रुद्रपुर: पं. गोविद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि स्थित राष्ट्रीय उच्च कृषि परियोजना के तत्वावधान में नई शिक्षा नीति का कृषि विश्वविद्यालयों पर प्रभाव विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम में देश के कृषि विज्ञानियों ने गहन मंथन किया गया। इस दौरान पंत विवि की एग्रीकल्चर एंड कोविड-19 पुस्तक का विमोचन भी किया गया है। कुलपति व भारतीय विवि संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर तेज प्रताप ने कहा कि पंत विवि को ब्लू प्रिट तैयार करना होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विश्वविद्यालयों को रणनीनि बनानी होगी।
कुलपति डाक्टर तेज प्रताप ने मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय संवाद वेबिनार में कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में पंत विवि खुद मॉडल है, जो पहले से ही मल्टीडिस्पलिनरी है। पाठ्यक्रमों को थोड़ी व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। बीएससी प्रथम वर्ष के ऐसे कोर्स हो, जिससे छात्र विषय में दक्षता प्राप्त कर सके। इसी तरह यदि छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहता है तो बीएससी फाइनल के कोर्स शोधपरक होने चाहिए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता व संघ की सक्रेटरी जनरल डाक्टर पंकज मित्तल ने नई शिक्ष नीति के भारत की उच्च शिक्षा व कृषि विश्वविद्यालयों पर प्रभाव पर गहनता से बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों को सार्थकता से और रोजगारपरक से जोड़ने के लिए परिवर्तन प्रभावित है। नई शिक्षा नीति की खास बात यह है कि विद्यार्थी को स्नातक में प्रथम वर्ष की पढ़ाई के बाद समझ में आ जाता है कि वह जिस विषय की पढ़ाई की है उसमें उसने दक्षता हासिल कर ली तो वह रोजगार कर सकता है। उसे एक साल का सर्टिफिकेट प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यदि दो साल बाद पढ़ाई छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा कोर्स का प्रमाण पत्र मिलेगा। यदि एक दो साल बाद छात्र पढ़ाई करना चाहता है तो वह आगे की पढ़ाई कर सकता है। इस तरह की रोजगार परक शिक्षा से लोग आत्मनिर्भर होंगे। कहा कि विश्वविद्यालयों की संकल्पना बहुविषयक हो, जिससे छात्रों के पास विषय में दक्षता लेने का विकल्प हो। डाक्टर पंकज मित्तल, कुलपति, कृषि महाविद्यालय के डीन डाक्टर शिवेंद्र कुमार कश्यप ने विवि की एग्रीकल्चर कोविड-19 पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक में बेहतर तरीके से खेती करने के तरीके बताए गए हैं। कार्यक्रम में स्वागत अतिथियों का परिचय नाहेप के नोडल एकेडमिक डा. एसके गुरु ने कराया।