आजादी के 74 साल बाद भी नहीं मिला मालिकाना हक
देश को आजाद हुए भले भी 74 वर्ष हो गए हों लेकिन तराइ में तमाम लोग आज भी जमीनों के मालिकाना अधिकार को तरस रहे हैं।
अमित चौधरी, सुल्तानपुर पट्टी(बाजपुर): देश को आजाद हुए भले भी 74 वर्ष हो गए हों, लेकिन तराई के भूमि विवाद आज भी यथावत है। अनेक सरकारों द्वारा कुछ वर्गो की भूमि के प्रकरणों को निपटाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसमें भी पूरी ईमानदारी नहीं होने के कारण आज भी लोग मालिकाना हक से वंचित हैं, जिसमें एक मामला वर्ग छह का है। इस भूमि में लोग आजादी से पूर्व स्थापित हैं, लेकिन आज भी वह कागजात नहीं होने के कारण मालिक नहीं हैं।
उत्तराखण्ड राज्य के अनेक जिलों में वर्ग छह की भूमि पर लोग काबिज हैं, लेकिन आज भी यह भूमि कुछ जगह आबादी में दर्ज है तो कुछ जगह नगर पालिका, नगर पंचायतें इसमें ग्रहकर वसूल रही हैं, लेकिन ऐसे स्वामियों का भूमि पर तिनका मात्र भी अधिकार नहीं है। जनपद में रुद्रपुर, केलाखेडा, बाजपुर, जसपुर एंव सुल्तानपुर पट्टी आदि में सैकड़ो एकड़ भूमि सरकारी है, जिस पर लोग आवासीय भवन बना कर काबिज हैं। ऐसी भूमियों के मानचित्र पास नहीं होते हैं और ना ही गृहकर के आधार पर इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल पाता है। इसी प्रकार बैंक भी इनकी सुनवाई नहीं करता है जबकि भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में काबिज ऐसे लोगों के स्वामित्व कार्ड बनाने की योजना जारी की है और काबिज, भूमिहीनों के स्वामित्व कार्ड बनाये जाने की प्रकिया उत्तराखण्ड में चल रही है, जिसके चलते टीमों द्वारा प्रारम्भिक सर्वे कुछ जगह शुरू हुआ है, लेकिन अभी तक इसका लाभ केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को ही दिया जा रहा है। इस संबंध में एडवोकेट मनोज कुमार ने बताया कि जनपद में एक लाख से अधिक ऐसे परिवार हैं, जो नगरीय क्षेत्रों में निवासरत हैं। मात्र नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी में ही इनकी संख्या दस हजार के करीब है। सरकार उचित नजराना लेकर इन्हें एक वार मालिकाना हक प्रदान करे, जिससे इनके लीगल दस्तावेज बन सकें और आने वाले समय में कानून की मार से यह परिवार अपने आप को सुरक्षित कर सके ।
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भारत सरकार की योजना के तहत वर्ग छह की जमीन पर ग्रामीण क्षेत्रों में काबिज लोगों को मालिकाना हक प्रदान किया जाना है। सितंबर प्रथम सप्ताह से कार्रवाई संभव है, जिसमें ड्रोन कैमरे से ऐसी भूमियों का नक्शा बनाया जायेगा। शहरी क्षेत्र के लिए अभी कोई आदेश नहीं है।- प्रेम सिंह तहसीलदार बाजपुर