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अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल व लैपटॉप की बैटरी, जानिए कैसे

गोविंद वल्लभ पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चार गुना अधिक बैकअप देने वाली बैटरी विकसित की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 08:50 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 08:50 AM (IST)
अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल व लैपटॉप की बैटरी, जानिए कैसे
अब चार गुना अधिक बैकअप देगी मोबाइल व लैपटॉप की बैटरी, जानिए कैसे

उधमसिंह नगर, [सुरेंद्र कुमार वर्मा]: मोबाइल फोन व लैपटॉप की बैटरी को गोविंद वल्लभ पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दीर्घजीवी बना दिया है। यानी इनके जल्द डिस्चार्ज हो जाने की आपकी दिक्कत अब गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। वैज्ञानिकों के चार गुना अधिक बैकअप देने वाली बैटरी विकसित करने से यह मुमकिन हुआ है। सस्ती एवं उच्च ऊर्जा संरक्षित बैटरी के लिए ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोड के निर्माण में सफलता हासिल करने के बाद इसके पेटेंट की तैयारी है। विवि के रसायन विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. एमजीएच जैदी के निर्देशन में यह शोधार्थियों के सात वर्षों की मेहनत का परिणाम है। इस पर अब तक बारह शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। 

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जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि के कारण ऊर्जा (पेट्रोलियम, कोयला, सोलर आदि) के उत्पादन एवं संरक्षण में अत्यधिक जरूरत महसूस की जा रही है। इसी को देखते हुए इसके हल को ढूंढने के लिए पूरी दुनिया के विज्ञानी प्रयत्नशील हैं। विश्वविख्यात जीबी पंत विवि पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) ने इसमें बाजी मार एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है।

यहां के शोधार्थियों ने रसायन विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. एमजीएच जैदी की देखरेख में अपनी मेधा के बूते इलेक्ट्रोड के माध्यम से दो हजार फैरेट (चार्ज की स्टोरेज करने की क्षमता) प्रति ग्राम तक की ऊर्जा का उत्पादन कर दिखाया है। भविष्य में इस प्रकार के इलेक्ट्रोड लीथियम आयन (क्लोराइड या सॉल्ट) बैटरियों की दक्षता बढ़ाने में सहायक होंगे। यही इलेक्ट्रोड मोबाइल व लैपटॉप आदि की बैटरियों की चार्जिंग क्षमता व बैकअप का निर्धारण करते हैं। विवि का यह शोध व्यावसायिक तौर पर अमल में आते ही क्रांतिकारी परिवर्तन वाला साबित होगा। 

सरलता से तैयार करना मुमकिन 

विवि के रसायन विज्ञान विभाग प्रमुख डॉ. जैदी ने बताया कि इलेक्ट्रोड बनाने की विधि अत्यंत सरल है। स्टील की प्लेट को विशिष्ट आकार के टुकड़े में काट उसकी सतह को रेगमाल से घिस कर रुखा बना देते हैं। इस टुकड़े पर ग्रेफाइट, चलायमान बहुलक (पॉलीमर), विशिष्ट प्रकार के लवण एवं अल्प मात्रा में अचलायमान बहुलक के सब मिश्रण को लेप देते हैं। लेपन की इस प्रक्रिया में साधारण तापक्रम पर 6-7 घंटे लगते हैं। बाद में हल्के गर्म तापक्रम पर सुखाने के बाद उनका परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण के लिए विभिन्न प्रकार की अस्थायी बैटरियों को विकसित किया जाता है। 

भविष्य में इलेक्ट्रोड शुष्क बैटरियों की दक्षता कई गुना बढ़ाने में सहायक होंगे

प्रो. एमजीएच जैदी (हेड केमेस्ट्री डिपार्टमेंट, जीबी पंत विश्वविद्यालय) का कहना है कि ऊर्जा संरक्षण में उपयोगी ग्रेफाइट युक्त इलेक्ट्रोड के निर्माण में उपयोगी रासायनिक पदार्थ आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। तकनीक द्वारा विकसित इलेक्ट्रोड अम्लीय, क्षारीय एवं उदासीन माध्यमों में विद्युत रासायनिक ऊर्जा का उत्कृष्ट संरक्षण करते हैं। भविष्य में इस प्रकार के इलेक्ट्रोड शुष्क बैटरियों की दक्षता कई गुना बढ़ाने में सहायक होंगे।

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