बिना जांच के ही आयुष्मान में अस्पतालों से एमओयू
जासं काशीपुर इसे शासन की मरीजों के इलाज में लापरवाही कहें या जल्दबाजी। सुविधाओं की बिन
जासं, काशीपुर: इसे शासन की मरीजों के इलाज में लापरवाही कहें या जल्दबाजी। सुविधाओं की बिना जांच के ही निजी अस्पतालों को अटल आयुष्मान योजना से एमओयू कर दिया गया। जब योजना में काशीपुर के दो निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज में प्रथम दृष्टयता फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद शासन ने अस्पतालों का सत्यापन कराने का फैसला लिया है। सत्यापन में यह देखा जाएगा कि इलाज के लिए अस्पताल मानक पूरा कर रहे हैं या नहीं। इसके लिए प्रोफर्मा सीएमओ दफ्तर को भेजा गया है।
योजना के संचालन में अनियमितताएं, अनुबंध व धोखाधड़ी की शिकायत पर शनिवार को काशीपुर के अली नर्सिग होम को निलंबित कर दिया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, केलाखेड़ा में डाक्टर न होने पर भी मेडिकल अफसर की मुहर से मरीजों को रेफर कर दिया गया था। इसी तरह की शिकायत पर कुछ दिन पहले आस्था अस्पताल को निलंबित कर दिया गया था। यहां बता दें कि योजना में प्रत्येक मरीज का हर साल सरकारी व अनुबंधित निजी अस्पताल में पांच लाख रुपये तक निश्शुल्क इलाज कराने का प्रावधान है। योजना में इलाज के लिए एमओयू के लिए निजी अस्पतालों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। इस पर योजना के स्टॉफ यानि एजेंट जिले में तैनात किए गए। एजेंट ने योजना के अफसरों को रिपोर्ट भेजा कि आवेदन करने वाले अस्पताल मौजूद है और सुविधाएं भी। इस आधार पर ऊधम सिंह नगर में आठ सरकारी व 27 निजी अस्पतालों का योजना के साथ अनुबंध किया गया। हालांकि फर्जीवाड़ा में दो निजी अस्पतालों को निलंबित कर दिया गया है। शासन ने सीएमओ दफ्तर को पत्र भेजकर अनुबंधित अस्पतालों का सत्यापन कर रिपोर्ट भेजने को कहा है। सत्यापन में आयुष्मान डेस्क, आयुष्मान मित्र, मरीजों को बैठने की सुविधा, ऑक्सीजन आपूíत, इमरजेंसी, वेंटीलेटर व वेंटीलेशन आदि सुविधाएं देखी जाएंगी। चिकित्सकों में चर्चा है कि कुछ दिन पहले क्लीनिकल इस्टीब्लिशमेंट एक्ट का मानक न पूरा करने वाले निजी चिकित्सक हड़ताल पर चले गए थे। हालांकि मानक पूरा करने वाला काशीपुर के एमपी मैमोरियल अस्पताल ने मानवता के चलते मरीजों का इलाज किया था। शासन ने अनुबंध करने से पहले अस्पतालों में सुविधाओं का सत्यापन करना मुनासिब नहीं समझा था। जब अस्पताल मानक ही पूरा नहीं कर रहे थे तो किस आधार पर अनुबंध कर दिया गया। इस तरह के सवाल शासन पर उठाए जा रहे हैं। सुविधाओं के अभाव में मरीजों को कैसे इलाज किया जाता रहा होगा। कुछ अस्पताल योजना को कमाई का जरिया तो नहीं बना लिया। हालांकि जांच के बाद सुविधाओं की असलियत का पता चल जाएगा।
वर्जन
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में चिकित्सक न होने पर फार्मासिस्ट ने मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया है। यह गलत नहीं है। रेफर पर्चे पर मेडिकल अफसर की मुहर लगी है, यह जांच का विषय है। मामले की जांच के लिए सीएचसी बाजपुर के चिकित्सक को कहा गया है। जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। डा.शैलजा भट्ट, मुख्य चिकित्साधिकारी यूएस नगर
वर्जन
फर्जीवाड़ा के मामले में योजना की टीम मंगलवार को जांच करने आएगी। योजना में जिले में एजेंट तैनात किए गए हैं। एजेंट की रिपोर्ट के आधार पर योजना में अिस्पतालों का एमओयू कर दिया गया। अब अनुबंध हुए अस्पतालों का सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए प्रोफर्मा प्राप्त हुआ है।
डा. अविनाश खन्ना, एसीएमओ, यूएस नगर