मलेरिया के चपेट में 12 से ज्यादा लोग
जागरण संवाददाता रुद्रपुर मच्छरों से जनित बीमारियों के लिए चर्चित तराई क्षेत्र मौसम बदलने के सा
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : मच्छरों से जनित बीमारियों के लिए चर्चित तराई क्षेत्र मौसम बदलने के साथ ही मलेरिया ने पांव पसारना शुरू कर दिए हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार मरीज मलेरिया के पहुंच रहे हैं। पिछले 15 दिनों का आंकड़ा देखें तो इनकी संख्या दो दर्जन से भी अधिक है। जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने सावधानियां बरतने के साथ ही बुखार आते ही तत्काल अस्पताल में जांच और इलाज की सलाह दी है। खास बात यह कि बुखार आने पर अपने मन से दवा का प्रयोग बिल्कुल न करें। ऐसा करने से बुखार दवा के प्रभाव से दब तो जाता है लेकिन मरीज को देर से पता लगने पर बुखार पूरी तरह शरीर को जकड़ लेता है। बुखार दिमाग में समा जाने से कभी-कभार मरीज की मौत भी हो जाती है। मलेरिया एनॉफिलीज मच्छर के काटने से होता है। लोगों का कहना है कि नगर निगम मच्छरों से बचाव के लिए छिड़काव भी नहीं किया जा रहा है। हालांकि निगम का दावा है कि वह नगर के सभी वार्डो में नियमित रूप से छिड़काव होती है, जिसका रजिस्टर भी मेंटेन है।
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यह बरतें सावधानियां
रुद्रपुर : मलेरिया के परजीवी शरीर में एनॉफिलीज मच्छर अपने डंक द्वारा पहुंचाता है। यह मच्छर ठहरे हुए पानी में पैदा होते हैं। इसलिए घर के आस-पास के गड्डों में पानी जमा न होने दें और गड्डों को मिट्टी से भर दें। पानी के बर्तन, टंकी आदि को हमेशा ढककर रखें। कूलर या छत के कबाड़ में पानी जमा न होने दें और कूलर का पानी हमेशा बदलते रहें। जहां कूलर की टंकी साफ करना संभव न हो, वहां एक चम्मच डीजल, पेट्रोल या मिट्टी तेल नियमित रूप से डालते रहें। पानी कहीं भी जमा पाए तो वहां कीटनाशक, मोटर का जला डीजल व केरोसिन को डालकर पनप रहे लार्वा को नष्ट कर दें। मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी, ओडोमॉस, हिट आदि कीटनाशक का प्रयोग घरों में करें। घर के कबाड़ को इकट्ठा न होने दें। जहां तक संभव हो पूरी आस्तीन की कमीज व मोजे पहनें।
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मलेरिया के लक्षण
-- सर्दी व कंपकपी के साथ बुखार आना, तेज बुखार के साथ सिरदर्द और बुखार उतरते समय पसीना-पसीना होना मलेरिया के प्रमुख लक्षण हैं। इससे लोग थोड़ी समझदारी और जिम्मेदारी अपना कर बच सकते हैं।
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शहर बड़ा है, कहीं न कहीं कीटनाशक का छिड़काव प्रतिदिन किया जाता है। वहीं शहर के वार्डों में बारी-बारी से फॉगिग भी कराई जाती है।
-- जयभारत सिंह, नगर आयुक्त, रुद्रपुर
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बुखार आने पर लोग नजरअंदाज न करें और तत्काल जिला अस्पताल में आकर अपना उपचार कराएं। अस्पताल में सारी दवाई उपलब्ध हैं। लोग मेडिकल स्टोर्स से अपने मन से दवा लेकर बुखार को न दबाएं। ऐसा करने पर मरीज को बुखार पूरी तरह जकड़ लेता है और कभी-कभी बुखार दिमाग में समा जाने के कारण मरीज की मौत तक हो जाती है।
-- गौरव अग्रवाल, फिजिशियन, जवाहर लाला नेहरू जिला चिकित्सालय वर्जन----
जिले के हर अस्पताल में लैब टैक्नीशियन के साथ जांच, स्प्रे और सभी दवाईयां उपलब्ध हैं। वहीं तराई में पहले की तुलना में जिले में मलेरिया के मरीज काफी दिनों दिन घट रहे हैं।
-- पीसी जोशी, जिला मलेरिया अधिकारी