लॉकडाउन ने तोड़ी मक्का किसानों की कमर
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की मार से हर कोई बेहाल है।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की मार से हर कोई बेहाल है। इससे मक्का किसानों की तो कमर ही टूट गई है। बाजार में मक्के की मांग कम होने के कारण किसानों को एमएसपी से भी कम रेट मिल रहे हैं, जो किसान पिछले साल मक्का 1800 तक बेचते थे वह अबकी बार 1200 तक बेचने को मजबूर हो गए हैं। ऐसे में गर्मी वाले धान के विकल्प के रूप में मक्के को प्रोत्साहित करने की योजना प्रभावित हो रही है। इस समस्या से कृषि विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं।
तराई क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन धान से भूजल स्तर खिसकता जा रहा है। ऐसे में इसके विकल्प के तौर पर कुछ साल से मक्के की फसल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए कृषि विभाग समय-समय पर विभिन्न गोष्ठियां व जागरूकता कार्यक्रम कर रहा है। लॉकडाउन में औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, जिससे मक्का उत्पादक खासे परेशान हैं। बाजार में मक्के की मांग में कमी आने से रेट नीचे चले गए हैं।
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मक्के के अनगिनत प्रयोग
पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न, भुट्टा आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें औद्योगिक गतिविधियां सबसे ज्यादा हैं। हर तरह के सूप, आटा, दवा, कास्मेटिक, गोंद, पेपर व एल्कोहल इंडस्ट्री में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मक्के का जिले में खास प्रयोग मुर्गी दाना बनाने में किया जाता है। चिकेन मार्केट धराशाई होने से मांग में कमी आई है।
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300 किसानों ने उगाया मक्का
कृषि विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी इस बार करीब 300 किसानों ने ही मक्के की फसल उगाई है, जिसमें जिले में लगभग 1500 एकड़ में मक्का बोया गया है। इस तरह करीब 57 हजार क्विटल मक्के का उत्पादन इस बार हुआ है।
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बीते वर्ष किसानों को मक्का प्रति क्विटल 1800 रुपये तक मिले थे जबकि इस बार मांग में कमी आने से 1200 तक मिल रहे हैं। रिद्धि-सिद्धि व गुजरात अंबुजा कंपनी 1300 रुपये प्रति क्विटल मक्का खरीदने के लिए तैयार है। इसके अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है।
-डॉ. अभय सक्सेना, मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधमसिंह नगर