कचरे और कीड़ों से कामयाबी का आइडिया, रेस्टोरेंट और मंडी के फूड वेस्ट में ढूंढ़ लिया स्टार्टअप
काशीपुर के आइआइएम (फीड विंग) के सीईओ शिवेन दास ने बताया कि अंकित ने वेस्ट मैनेजमेंट से बेहतरीन आइडिया विकसित कर स्टार्टअप शुरू किया है। यही वजह रही कि आइआइएम स्टार्टअप के सक्षम प्रशिक्षण प्रोग्राम में अंकित और अभि का चयन हुआ।
अभय पांडेय, काशीपुर (ऊधमसिंह नगर)। सड़ा-गला फूड वेस्ट भी आपकी किस्मत चमका सकता है। आइआइटीयन अंकित आलोक बागडिया को इस कचरे के आइडिया ने कामयाबी की राह दिखाई है। उन्हें सड़ी-गली सब्जियों, निष्प्रयोज्य खाद्य सामग्री और कचरे में भी ऐसा रोजगार नजर आया, जो सामान्य व्यक्ति को नहीं दिख सकता।
पर्यावरण संरक्षण के महत्व वाले इसी आइडिया के जरिये वह फूड वेस्ट से न केवल जैविक खाद तैयार कर रहे हैं, बल्कि ब्लैक शोल्जर फ्लाई (मछली व मुर्गियों के भोजन में इस्तेमाल होने वाले खास प्रकार का कीड़ा) का उत्पादन कर दोहरी कमाई कर रहे हैं। अपने दोस्त अभि के साथ प्रोजेक्ट को विस्तार देकर अंकित किसानों को खाद और मुर्गी व मछली कारोबारियों को कीड़े की आपूर्ति कर प्रतिमाह पांच से आठ लाख रुपये कमा रहे हैं।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) काशीपुर के जरिये इस प्रोजेक्ट को कृषि मंत्रालय 25 लाख की वित्तीय मदद भी कर रहा है। काशीपुर आइआइएम में फाउंडेशन फार इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (फीड) के स्टार्टअप प्रोग्राम ‘सक्षम’ में अंकित बागडिया ने अपने स्टार्टअप से सभी का ध्यान आर्किषत किया है। महाराष्ट्र के जलगांव निवासी और रुड़की आइआइटी से इंजीनियरिंग करने वाले अंकित ने फूड वेस्ट से एक बेहतरीन आइडिया विकसित कर कुछ अलग करके दिखाया है। वह बताते हैं कि इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने आइआइटी में साथी रहे अभि को साथ लेकर स्टार्टअप शुरू करने का प्लान किया।
दरअसल, भारत में रोजाना लाखों टन फूड वेस्ट निकलता है। प्रमुख अनाज मंडी, सब्जी मंडी और रेस्टोरेंट और होटल में यह मात्रा सबसे ज्यादा होती है। इसे फेंक दिया जाता है। हमने वेस्ट फूड से ही स्टार्टअप का आइडिया निकाला। लेकिन, हम केवल जैविक खाद बनाने तक ही सीमित नहीं रहे। हमने वेस्ट फूड से खाद के साथ ही ब्लैक शोल्जर फ्लाई भी तैयार करने और सप्लाई करने का निर्णय लिया। फूड वेस्ट को जब कंपोस्ट करते हैं तो इन कीड़ों की भी अच्छी ब्रीडिंग होने में मदद मिलती है। ये कीड़े प्रोटीन से भरपूर होते हैं।
500 किलो वेस्ट से काम शुरू : अंकित बताते हैं कि 2019 में बंगलुरू से स्टार्टअप शुरू किया। तब 500 किलोग्राम वेस्ट मैटेरियल से शुरू किया काम अब रोजाना दो टन से ज्यादा तक पहुंच गया है। वहीं, रोजाना 200 किग्रा. से ज्यादा ब्लैक शोल्जर फ्लाई उत्पादित किए जा रहे हैं। वेस्ट से तैयार वर्मी कंपोस्ट की मांग भी लगातार बढ़ रही है। महाराष्ट्र, बेंगलुरू, गाजियाबाद समेत सात प्रमुख शहरों में अपना प्लांट शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि उनके स्टार्टअप को एक अलग पहचान मिल सके। वह कहते हैं कि इस काम के जरिये हम पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।
ऐसे होता है काम : लोकल सब्जी व अनाज मंडी, होटल, रेस्टोरेंट आदि से फूड वेस्ट को उठाया जाता है। प्रोर्सेंसग यूनिट में वेस्ट को विशेष ट्रे में एकत्र किया जाता है। इस वेस्ट में ब्लैक शोल्जर फ्लाई डाले जाते हैं। चंद दिनों में इन कीड़ों की संख्या चार गुना से अधिक हो जाती है और आकार में भी काफी बड़े हो जाते हैं। उसके बाद ट्रे से कीड़ों को अलग कर उन्हें सप्लाई किया जाता है। वेस्ट से तैयार कंपोस्ट खाद को अलग कर सप्लाई किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर सौ से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है। एक्वेरियम की मछलियों के लिए बेस्ट अंकित का कहना है कि घरों में एक्वेरियम में जिन मछलियों को पाला जाता है, उनके आहार का 80 प्रतिशत उत्पादन बाहरी देशों में होता है। इनमें चीन और जापान की हिस्सेदारी ज्यादा है। ऐसे में हमारे लिए अपने देश में एक बड़ा मार्केट भी तैयार है। हम मछलियों के लिए खास तौर पर आहार अपने वेस्ट मैनेजमेंट के जरिये बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
काशीपुर के आइआइएम (फीड विंग) के सीईओ शिवेन दास ने बताया कि अंकित ने वेस्ट मैनेजमेंट से बेहतरीन आइडिया विकसित कर स्टार्टअप शुरू किया है। यही वजह रही कि आइआइएम स्टार्टअप के सक्षम प्रशिक्षण प्रोग्राम में अंकित और अभि का चयन हुआ। कृषि मंत्रालय की तरफ से उन्हें 25 लाख की वित्तीय मदद भी दी जा रही है।