बाहरी धान बेचने पर किसानों का गुस्सा फूटा
किच्छा में राइस मिलर व आढ़ती बाहरी धान खरीद उसे उत्तराखंड का दिखाने का खेल कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, किच्छा : राइस मिलर व आढ़ती बाहरी धान खरीद उसे उत्तराखंड का दिखाने का खेल रहे खेल। गुस्साए किसानों ने मंडी गेट पर धरना देकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उन्हें समझाने आए मंडी सभापति कमलेंद्र सेमवाल के साथ ही एसडीएम विवेक प्रकाश को विरोध का सामना करना पड़ा।
सोमवार को राइस मिलर व आढ़तियों ने 10 हजार क्विटल का कोटा पूरा होने की बात कह धान की खरीद बंद कर दी। इससे गुस्साए किसान मंडी पहुंच गए। जब राइस मिलर व आढ़ती धान खरीद को राजी नहीं हुए तो वह मंडी कांटे के पास दरी बिछाकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि आढ़ती और राइस मिलर की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश के किसानों का धान खरीद उसे उत्तराखंड में दर्शा कर बेचा जा रहा है, जो स्थानीय किसानों का हक मारा जा रहा है। सूचना पर एसडीएम विवेक प्रकाश, मंडी सभापति कमलेंद्र सेमवाल व सचिव मंडी समिति विनोद लोहुमी समझाने पहुंचे। किसानों ने राइस मिलर पर मनमानी का आरोप लगाते हुए उनकी खरीद की जांच कराने की मांग की। एसडीएम ने मंगलवार को खरीद की पांच हजार कुंतल की सीमा बढ़ाने का आदेश आने का भरोसा दिलाया। धरना देने वालों में जगरुप सिंह गिल, नारायण सिंह बिष्ट, संतोख सिंह, मेजर सिंह, हरमीत सिंह राजू, श्रवण सिंह, कुलवंत सिंह, सुखदेव सिंह, दिलबाग सिंह, कृष्ण लाल, पूरन सिंह, सुखविदर सिंह आदि मौजूद थे।
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1372 रुपये में खरीद मंडी में दिखाने की तैयारी में पकड़ा
बाहरी धान को स्थानीय मिलर द्वारा खरीदे जाने के बाद उसकी पर्ची कटाकर उसे मंडी में प्रवेश करा दिया। किसानों ने मामले को पकड़ लिया और उन्होंने कच्ची पर्ची के साथ ही जिसमें धान की खरीद 1372 रुपये में किए जाने के बाद मंडी प्रवेश व कांटे की पर्ची को मंडी सचिव को सौंप लाइसेंस निरस्त करने की मांग की। जिस पर सचिव ने लिखित शिकायत पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
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मिलर के साथ की बैठक
एसडीएम ने मिलर के साथ बैठक कर की गई खरीद का विवरण उपलब्ध करवाने के लिए कहा। उन्होंने खाद्य विभाग के अधिकारियों को राइस मिलर द्वारा खरीदे गए दस हजार कुंतल कोटे का विवरण ले उसको प्रमाणित करने के निर्देश दिए। इस दौरान मंडी निरीक्षक से एसडीएम ने खरीद के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया मिलर द्वारा दस हजार कुंतल धान की खरीद सीएमआर के लिए की है। बाहरी धान की खरीद उनके द्वारा नहीं की गई है।