किच्छा में अभी भी गायब है साढ़े आठ एकड़ शत्रु संपत्ति
आजादी के 73 वर्षों के बाद भी शत्रु संपत्ति की खोज बीन प्रशासन पूरी नहीं कर पाया है।
जागरण संवाददाता, किच्छा : आजादी के 73 वर्षों के बाद भी शत्रु संपत्ति की खोज बीन प्रशासन पूरी नहीं कर पाया है। दरऊ निवासी युवक द्वारा पीएमओ में की शिकायत के बाद सरकार हरकत में आई तो भूमि की खोजबीन तेज हुई और बैठकों का दौर शुरू हो गया।
आजादी के बाद दरऊ का परिवार पाकिस्तान चला गया था। उसकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था। गांव के रसूखदारों ने उस भूमि को खुर्द बुर्द करने की शुरुआत तभी से कर दी थी। प्रशासन की उदासीनता के चलते भूमि को बेच दिया गया। कुछ स्थानीय लोगों ने तो कुछ हल्द्वानी के लोगों ने भूमि खरीद ली थी। केंद्र सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति की खोजबीन की गई तो दरऊ में 22.5 एकड़ भूमि होने की बात सामने आई। इसके बाद प्रशासन शत्रु संपत्ति को चिह्नित कर उसकी खोजबीन में जुट गया। प्रशासन द्वारा उक्त भूमि की खोजबीन करते हुए 14 एकड़ भूमि चिन्हित कर सरकार के खाते में दर्ज कर ली गई। पर साढ़े आठ एकड़ भूमि का अभी भी कुछ पता नहीं है। दरऊ निवासी युवक द्वारा प्रशासन की लापरवाही के साथ ही गांव के प्रभावशाली व्यक्ति के साथ मिल कर भूमि को खुर्द बुर्द करने की शिकायत के बाद देहरादून सचिवालय हरकत में आया तो जिलाधिकारी को स्पष्ट निर्देश शत्रु संपत्ति के संबंध में रिपोर्ट मांग ली। शिकायत की समय अवधि में 15 दिन बाद शिकायतकर्ता को जवाब देने के कारण मंगलवार को प्रशासन की टीम इसकी रिपोर्ट बनाने में पूरा दिन जुटी रही। इसके चलते एसडीएम कार्यालय में बैठकों का दौर भी चलता रहा। बुधवार को शत्रु संपत्ति के मामले में रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है।
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काश्तकारों दो तीन खातों में है विवाद
तहसील प्रशासन ने चिह्नित 14 एकड़ भूमि को सरकार के खाते में दर्ज कर खतौनी में आदेश चढ़ा दिया है। इसके बाद से तीन खातों को लेकर विवाद चला आ रहा है। तीनों लोग उक्त संपत्ति को उनकी होने का दावा करते हुए अपने कागज लेकर घूम रहे हैं।
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कब्जेदारों ने नहीं करने दी वीडियोग्राफी
प्रशासन ने दरऊ में शत्रु संपत्ति पर काबिज लोगों की वीडियोग्राफी करने का प्रयास किया। पर कब्जेदारों ने इसका विरोध करते हुए राजस्व उप निरीक्षक को रोक दिया था। इससे पहले भी कई बार उनके द्वारा प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया है। बताया जाता है उनको सफेदपोशों का संरक्षण हासिल है, जिसके चलते उनके खिलाफ प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। तहसील प्रशासन ने विरोध की जानकारी देते हुए रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को सौंप दी है।