चारधाम तीर्थस्थल के रूप में बनेगी बाजपुर की पहचान
बाजपुर अब दुनिया में चारधाम तीर्थस्थल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।
संवाद सहयोगी, बाजपुर : नगर अब दुनिया में चारधाम तीर्थस्थल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। विश्व चैतन्य सद्गुरू नारायण महाराज (आण्णा) के अनुयायी भारत में चारधाम की परिकल्पना को साकार रूप देते हुए अखंड भारत मानव जोड़ो संकल्प के तहत यहां चौथा धाम स्थापित करने जा रहे हैं।
इस संकल्प के तहत भारत की चारों दिशाओं में से तीन में निर्माण पूरा हो चुका है। चौथा धाम बाजपुर की सीमा से मात्र एक किमी की दूरी पर स्थापित होने जा रहा है। मंदिर निर्माण के बाद मूर्ति स्थापना को पूरे देश से करीब दो लाख श्रद्धालुओं के जुटने का दावा किया जा रहा है। पूना से एक स्पेशल ट्रेन भी आ रही है। वहीं पांच मूर्तियों की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। प्रतिमाओं का वजन करीब दो टन एवं ऊंचाई लगभग साढ़े 12 फीट बताई जा रही है। धाम की देखभाल करने वाले सेवादार मोहन बोरकर ने बताया कि मूर्ति स्थापना से पूर्व 21 मई को बाजपुर से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान पुष्प वर्षा सहित अनेक कार्यक्रम होंगे। 22 मई को मूर्तियों की स्थापना व कलश आरोहण, 23 मई को होम हवन, दर्शन, महाप्रसाद व लोकार्पण सौहला कार्यक्रम होगा। धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालुओं की स्पेशल ट्रेन पूना से 21 मई की प्रात: बाजपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी। वहां से वे नजदीक ही स्थित आर्सल-पार्सल क्षेत्र में स्थापित मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। इसके अतिरिक्त बसों, निजी वाहनों से भी श्रद्धालु महाराष्ट्र, कलकत्ता, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों से आ रहे हैं। श्रद्धालुओं की अगुआई को काफी संख्या में सक्रिय कार्यकर्ता पहुंच चुके हैं। वहीं, भव्य धार्मिक अनुष्ठान की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। महाराज स्वयं तैयारियों का समय-समय पर जायजा ले रहे हैं। बताया गया कि उत्तर-प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़ी राजनीतिक व अन्य हस्तियों को भी निमंत्रण दिया गया है। अभी तक सीएम योगी आदित्यनाथ का विधिवत कार्यक्रम नहीं आया है।
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इनसेट
अखंड भारत को जोड़ने का कार्य करेगा अत्रिदत्त धाम विकासखंड की सीमा पर करीब पांच एकड़ में भव्य धाम का निर्माण किया जा रहा है। यह धाम जलकोटी से लेकर कन्या कुमारी व कोलकत्ता से लेकर उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड को जोड़ेगा। करीब 87 वर्षीय विश्व चैतन्य सद्गुरू नारायण महाराज (आण्णा) का संकल्प है कि चारों दिशाओं में धाम होने चाहिए, जिससे हर भाषा, संस्कृति का समावेश एक-दूसरे में हो सके। महाराज ने 2008 से इस मिशन को लेकर कार्य शुरू किया था। 21 अगस्त 2008 को मध्य-प्रदेश के पौराणिक नगर महेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे प्रथम शिवदत्त धाम की स्थापना की गई। नौ जून 2011 को कन्याकुमारी में अंजीग्राम वटाकट्टाई में अनसूया दत्त धाम की स्थापना हुई। तीसरा ब्रह्मादत्त धाम पश्चिम बंगाल के जिला हुगली कलकत्ता की तहसील चंडीतला ग्राम बनमालिपूर में बनाया गया है।