Move to Jagran APP

जिले के 60 फीसद मवेशी भी कुपोषित

जिले के 60 प्रतिशत दुधारू मवेशी भी कुपोषण का शिकार हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 02:55 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 02:55 AM (IST)
जिले के 60 फीसद मवेशी भी कुपोषित
जिले के 60 फीसद मवेशी भी कुपोषित

ओपी चौबे, रुद्रपुर

loksabha election banner

जिले के 60 प्रतिशत दुधारू मवेशी भी कुपोषण का शिकार हैं। इससे जहां दूध के पौष्टिक तत्व प्रभावित हो रहे हैं, वहीं उनका शरीर भी चमक खो रहा है। कम उम्र के पशुओं का विकास भी बाधित हो रहा है। वह गर्भधारण के लिए समय से तैयार नहीं हो पा रहे।

बता दें कि ऊधम¨सहनगर कुपोषण के मामले में पहले पायदान पर है। अब यहां के मेवशियों में भी कुपोषण का पता लगा है। इनके चारे में प्राकृतिक रूप से खनिज लवण उपलब्ध रहता है, लेकिन दुधारू पशुओं के दूध से ये तत्व निकलते रहते हैं। स्तर बनाए रखने के लिए पशुओं को खनिज, लवण व प्रोटीन बाहर से प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम तक देना चाहिए। वहीं ठंड के मौसम में नियमित रूप से 25 ग्राम नमक अवश्य देना चाहिए। ताकि जाड़े के मौसम में भी पशु नियमित रूप से पानी पीएं। वहीं, छोटे पशु व बछिया को छह माह की उम्र के बाद ही नियमित खनिज-लवण देना चाहिए जिससे वह समय से गर्भधारण करने के लिए तैयार हो सके। लेकिन जागरूकता बिना 70 से 80 प्रतिशत पशु कुपोषण का शिकार हैं। वे समय से गर्भधारण के लिए तैयार नहीं हो पाते। उन्हें बार-बार गर्भ धारण कराना पड़ता है। वहीं तराई में बढ़ते रासायनिक प्रयोग व बरसीम व चरी में यूरिया का प्रयोग पशु पालक करते हैं जिससे पौधे तो तेजी से बड़े हो जाते हैं, लेकिन उनमें खनिज लवण आदि तत्वों की कमी रह जाती है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि पशुपालक चारे में खाद के लिए सिर्फ गोबर आदि का ही प्रयोग करें। -- इनसेट --

गोबर और खून का जांच प्रतिमाह कराएं पशुओं के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए नियमित रूप से जांच पशु चिकित्सालय में कराएं। वहीं गोबर के जांच से कीड़ों का प्रकार व संख्या की जानकारी हो जाती है। पशुओं के चारा न खाने के कारण का भी पता चल जाता है।

-- इनसेट --

भरपेट चारा खाने पर भी मुमकिन कुपोषण

भरपेट चारा खाने के बाद भी मवेशी कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें मिलने वाले चारे में खनिज तत्वों की भारी कमी रहती है। इससे उन्हें बचाने के लिए जिलेभर के चिकित्सालय अपने क्षेत्र के गांवों में प्रति माह कैंप लगाते हैं।

-- इनसेट --

कुपोषण का बड़ा कारण पानी

रुद्रपुर : तराई के पशुओं में 50 से 60 प्रतिशत कुपोषण का कारण यहां का पानी भी है। इसमें कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिससे पशु अधिक संख्या में कुपोषित होते हैं।

-- इनसेट --

ऐसे करें अधिक दूध प्राप्त पशु के गोबर की जांच पशु चिकित्सालय में समय-समय पर कराएं। इनके खून की जांच रोग निदान प्रयोगशाला रुद्रपुर में कराएं, जिससे उनके स्वास्थ्य की स्थिति के साथ ही शरीर में खनिज, लवण और प्रोटीन की कमी को जाना जा सके। जांच के लिए पालक को मात्र दस रुपये पंजीकरण शुल्क ही देना होता है। पशुओं में कीड़ा, बुखार, चारा न खाने की दवाईयां निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। वहीं पशुओं को 25 से 30 ग्राम आयोडिन नमक जरूर खिलाएं। -- वर्जन--

पशुओं के स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर कराते रहें। बछिया व दुधारू पशुओं को अलग से 30 ग्राम तक खनिज, लवण व प्रोटीन दें। ठंड के मौसम में प्रतिदिन 30 ग्राम नमक पशु को खिलाएं और ताजा पानी पिलाएं। बिना जांच कराए पशुओं को कीड़े की दवा न दें। चारे में गोबर की खाद का ही प्रयोग करे।

-गोपाल ¨सह धामी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, ऊधम¨सह नगर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.