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विश्व की 11 फीसद अर्थव्यवस्था जैव विविधता पर निर्भर

औषधियों में प्रयोग होने वाले लगभग 10 हजार रसायन हमें पेड़ पौधों से मिलते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 06:04 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 06:04 PM (IST)
विश्व की 11 फीसद अर्थव्यवस्था जैव विविधता पर निर्भर
विश्व की 11 फीसद अर्थव्यवस्था जैव विविधता पर निर्भर

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : औषधियों में प्रयोग होने वाले लगभग 10 हजार रसायन हमें पेड़ पौधों से मिलते हैं। पौधे के बीज, फल, तना, पत्तियां तथा फूल सभी औषधियों के रूप में काम आते हैं। विश्व की लगभग 11 फीसद अर्थव्यवस्था का आधार जैव विविधता पर निर्भर है।

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यह बातें एसबीएस डिग्री कॉलेज में आयोजित कंजर्वेशन एंड कल्टीवेशन ऑफ मेडिसिनल प्लांट विषय पर गुरुवार को आयोजित ई-कार्यशाला में मुख्य वक्ता कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के प्रो. ललित तिवारी ने कही। उन्होंने कहा कि भारत में 42 हजार 610 प्रकार के पौधे पाए जाते हैं, जो कि विश्व के पौधों का 6.7 फीसद है। भारतीय संस्कृति में तुलसी का अमूल्य स्थान है, जिसका प्रयोग सर्दी-जुकाम के अलावा रक्त को शोधित करने में भी किया जाता है। नीम 30 फीसद तक इन्सुलिन की मात्रा को नियंत्रित करता है। भारत में 7500 पौधे हैं, जिनका प्रयोग औषधीय व्यापार में किया जाता है। उत्तराखंड में पौधों की 1700 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें औषधि के रूप में 701 प्रजातियां काम आती हैं। प्राचार्य प्रो. कमल किशोर पांडेय ने कहा कि हमें प्रकृति का उपयोग ही नहीं करना संरक्षण भी करना है। आयुष मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही नेशनल कंपेन ऑन 20 प्लांट्स की जानकारी दी। भारत सरकार हर्बल गार्डन बनाने हेतु सहायता उपलब्ध करा रही है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विजय कुमार ने जामुन, बेल, ब्राह्मी, अश्वगंधा, हरड़, नीम, एलोवेरा, पीपल, अदरक, पपीता आदि औषधियों पौधों के गुणों के जानकारी दी। राष्ट्रीय सेवा योजना के उत्तराखंड राज्य संपर्क अधिकारी अजय अग्रवाल ने कहा कि शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में औषधीय पौधों का अमूल्य योगदान है। राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ. गौरव वाष्र्णेय ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। इस मौके पर प्रो. अजय पालीवाल, डॉ. रमेश चंद्र भट्ट, डॉ. दिनेश शर्मा, मनोज जौहरी, डॉ शशिबाला वर्मा, डॉ. रुमा साह, डॉ. निर्मला जोशी, डॉ. अंचलेश कुमार आदि शिक्षक शामिल थे।


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