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उत्‍तराखंड में पर्यटकों को भा रहे टिहरी के ट्रेकिंग रूट

कोरोना काल में लॉकडाउन और गाइडलाइन के प्रतिबंधों के बाद जिले में इस बार पर्यटकों ने पहाड़ के ट्रेक रुटों की तरफ खूब रूख किया। टिहरी जिले में जहां प्रमुख पर्यटक स्थल सुनसान नजर आए वहीं हिमालयी क्षेत्र के बुग्याल और ट्रैकिंग रूट में पर्यटकों ने खूब चहलकदमी की।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 07:02 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 12:08 AM (IST)
उत्‍तराखंड में पर्यटकों को भा रहे टिहरी के ट्रेकिंग रूट
जिले में इस बार पर्यटकों ने पहाड़ के ट्रेक रुटों की तरफ खूब रूख किया।

जागरण संवाददाता, नई टिहरी: कोरोना काल में लॉकडाउन और गाइडलाइन के प्रतिबंधों के बाद जिले में इस बार पर्यटकों ने पहाड़ के ट्रेक रुटों की तरफ खूब रूख किया। टिहरी जिले में जहां प्रमुख पर्यटक स्थल सुनसान नजर आए वहीं हिमालयी क्षेत्र के बुग्याल और ट्रैकिंग रूट में पर्यटकों ने खूब चहलकदमी की। टिहरी के प्रमुख मासरताल, सहस्त्रताल, मंजियाड़ी, जराल ताल, खैट पर्वत और पंवाली कांठा बुग्याल में इस वर्ष खूब पर्यटक पहुंचे। पिछले तीन महीने में लगभग आठ हजार स्थानीय निवासी और पर्यटक इन ट्रेक में ट्रेकिंग के लिए पहुंचे।

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भिलंगना ब्लॉक का महासरताल जिले का प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल है। जो सड़क से करीब दस किमी दूर है। इस बार यहां पर सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे है। यह काफी रमणीक स्थान है। कोरोना काल में जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर गतिविधियां ठप रही वहीं इस धार्मिक पर्यटक स्थल पर्यटकों की पहली पसंद बना रहा। जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर का सफर कर थातीकठूड़ पहुंचा जाता है। यहां से पिंसवाड़ व घंडियाल सौड़ तक छोटे वाहन से पहुंचा जाता है इसके बाद दस किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जाता है। पिछले तीन महीने में लगभग आठ हजार स्थानीय निवासी और पर्यटक यहां पर ट्रैकिंग के लिए पहुंचे। स्थानीय निवासी भूपेंद्र नेगी ने बताया कि इस बार कोरोना के कारण स्थानीय निवासी बाहर नहीं जा पाए ऐसे में पहाड़ों में ट्रैकिंग के लिए ज्यादा लोग आए। इस बार स्थानीय निवासी और पर्यटकों में सहस्रताल, मंजियाड़ी ताल, जराल ताल जाने को लेकर भी उत्सुकता रही। इनमें से सहस्रताल सबसे दूर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर है। यहां पर तालाबों का समूह है। एक सबसे बड़ा ताल है, जबकि आस-पास छोटे-छोटे ताल आज भी रहस्य बने हैं। बूढ़ाकेदार या घुत्तू से होकर यहां तक पहुंचा जाता है। बूढ़ाकेदार से पैदलमार्ग होते हुए सहस्रताल करीब 45 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने में करीब तीन दिन का समय लगता है। पैदल व खच्चरों के माध्यम से यहां तक पहुंचा जाता है। यह पर्यटक स्थल भले ही सड़क से दूर हो, लेकिन यहां पहुंचने के बाद इस स्थान की सुंदरता को देख पर्यटक अभिभूत हो जाते हैं।

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जड़ी बूटी के लिए प्रसिद्ध है पंवाली कांठा बुग्याल

जिला पर्यटक अधिकारी सोबत सिंह राणा का कहना है कि टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक में प्रसिद्ध पंवाली कांठा बुग्याल पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है। टिहरी जिले में खतलिंग ग्लेशियर पर लगभग 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित पंवालीकांठा बुग्याल अपनी दुर्लभ जड़ी-बूटियों और शानदार ट्रैक के लिए प्रसिद्ध है। यहां पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय टिहरी से घुत्तू तक सौ किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग और फिर 18 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। जिले में सबसे ज्यादा पर्यटक इसी ट्रेक पर सैर के लिए पहुंचते हैं। कोरोना काल में इस बार स्थानीय निवासी और पर्यटकों को गाइडलाइन के कारण बाहर घूमने जाने का मौका नहीं मिल पाया। ऐसे में इस बार ट्रैकिंग रुट पर ज्यादा लोग आए। बरसात के बाद फिर से यहां पर ट्रैकिंग शुरू की जाएगी।

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