सुरकंडा मंदिर से जड़धार गांव तक 16 किमी की पैदल यात्रा की
संवाद सहयोगी, चंबा : लोगों में लोक कल्याण की भावना जगाने के लिए क्षेत्र के जागरूक लोगों ने सुर
संवाद सहयोगी, चंबा : लोगों में लोक कल्याण की भावना जगाने के लिए क्षेत्र के जागरूक लोगों ने सुरकुट पर्वत मां सुरकंडा मंदिर से जड़धार गांव तक पैदल यात्रा का आयोजन किया गया। देवी के जयकारों के साथ पद यात्री सुबह मंदिर से रवाना हुए और करीब 16 किमी की दूरी तय कर दोपहर को जड़धार गांव पहुंचे। यहां स्थानीय लोगों ने यात्री दल का ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया।
चंबा में जागरूक लोगों ने लोक कल्याण की भावना जगाना और मां सुरकंडा मंदिर की पैदल यात्रा को महत्व दिए जाने के लिए रविवार को पैदल यात्रा का आयोजन किया। पद यात्री सुरकुट पर्वत स्थित मां सुरकंडा के मंदिर से सुबह माह के जयकारों के साथ देवी के मायके जड़धार गांव के लिए रवाना हुए। इससे पूर्व यात्रा दल के सदस्यों ने मंदिर परिसर की खाली पड़ी भूमि पर देवदार के पौधों का रोपण किया। इस दौरान यात्री दल ने जड़धार गांव से लेकर सुरकंडा तक पैदल मार्ग में पड़ने वाले गांव, खेतों, मंदिरों, जलस्त्रोतों, वनस्पतियों, पेड़ों आदि की जानकारी ली और जाना कि हर तीसरे वर्ष जब मां सुरकंडी को इसी रास्ते उसके मायके जड़धार गांव लाया जाता है तो किस तरह का माहौल होता है। रास्ते में पड़ने वाले दूसरे गांव के लोगों की भावना कैसी होती है। यात्रा दल ने यह भी जाना की गंगा दशहरे के मौके पर जब देवी के मायके जड़धार गांव में लोग सामूहिक रूप से पैदल ढोल-नगाड़ों के साथ सुरकुट पर्वत मंदिर जाते हैं उस समय पूरे क्षेत्र में किस तरह का माहौल होता है। इस अवसर पर यात्री दल के संयोजक राम ¨सह नेगी ने कहा कि जड़धार गांव से मां सुरकंडा मंदिर के लिए हर साल जाने वाली यात्रा का अपना खास महत्व है। यात्रा दल को समाजसेवी विजय जड़धारी, घनश्याम ¨सह आदि ने मां सुरकंडा देवी के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर लोक गायक व प्रधान पदम गुसाईं, सुरकंडा मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष जितेंद्र ¨सह नेगी, रवि गुसाईं, सिद्धार्थ नेगी, कवि एसएल सकलानी, विनोद ¨सह रावत, उत्तम ¨सह जड़धारी, डॉ. भरत ¨सह राव,त जसपाल नेगी, विपिन जड़धारी, विनोद ¨सह, राजेंद्र ¨सह आदि मौजूद रहे।