गंगा की निरंतरता पर की चर्चा
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के तीसरे दिन गंगा नदी के रखरखाव और निरंतरता पर चर्चा की गई। साथ ही वैज्ञानिकों ने गंगा की विविधता पर भी विचार रखे। बनारस विवि के प्रो. संदीप मल्होत्रा ने जलीय जीवों में पाए जाने वाले परजीवियों की विविधता और उनकी भूमिका पर शोध प्रस्तुत किया। इस दौरान 36 शोध पत्र पढ़े गए।
प्रो. मल्होत्रा के अनुसार बढ़ता तापमान, मौसम परिवर्तन और अन्य मानव जनित प्रदूषण के चलते हमारा परिवेश बदल रहा है। उनके शोध के अनुसार इस तरह का परजीवी संक्रमण 2001 से अधिक देखने को मिल रहा है। समुद्र के खारे पानी तक में यह देखा जा सकता है। ग्राफिक एरा विवि से आए डॉ. आशीष थपलियाल ने बताया कि बड़े बांधों के समीप हमें क्या उपाय करने चाहिए ताकि गंगा की निरंतरता, जैविक विविधता के साथ ही विकास के मानकों को पूरा किया जा सके। साथ ही इस विविधता को भविष्य के लिए सुरक्षित कर सकें। कहा कि वैज्ञानिक सोच और पर्यावरण विकास और रखरखाव के बीच सामंजस्य बनाए रखना होगा तभी गंगा की निरंतरता को बनाए रखा जा सकता है। वन्यजीव संस्थान से नमामि गंगे टीम के सदस्यों ने गंगा संरक्षण, संवर्धन एवं निरंतरता के लिए चलने वाले देशव्यापी शोध में किए जाने वाले प्रयासों के बारे में जानकारी दी। इसमें गंगा की बात, गंगा प्रहरी, बाल गंगा प्रहरी, प्रवासी गंगा प्रहरी और विभिन्न पद यात्राओं के माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का प्रयास भी शामिल है। इस दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार, डॉ. सूत्रधार, डॉ. कविता काला, डॉ. शालिनी रावत, डॉ. कुलदीप रावत, डॉ. आलोक भंडारी, नम्रता पांडे, आरती खंडूड़ी, आयोजक सचिव डॉ. विजय प्रकाश सेमवाल आदि मौजूद रहे।