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कुश कल्याणी से देखिए अस्ताचलगामी सूर्य का अद्भुत नजारा

उत्तराखंड के टिहरी और उत्तरकाशी जिले की सीमा पर स्थित कुश कल्याणी बुग्याल से आप हिमालय में प्रकृति का रोमांच देख सकते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 08:42 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 09:01 PM (IST)
कुश कल्याणी से देखिए अस्ताचलगामी सूर्य का अद्भुत नजारा
कुश कल्याणी से देखिए अस्ताचलगामी सूर्य का अद्भुत नजारा

नई टिहरी, मधुसूदन बहुगुणा। हिमालय में प्रकृति का रोमांच देखना हो तो यहां देखा जा सकता है। उत्तराखंड के टिहरी और उत्तरकाशी जिले की सीमा पर समुद्रतल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कुश कल्याणी (कुश कल्याण) बुग्याल (मखमली घास का मैदान) से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। यहां पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय नई टिहरी से बूढ़ाकेदार तक 85 किमी की दूरी वाहन से तय करनी पड़ती है। यहां से पिंसवाड़ गांव होते हुए कुश कल्याणी की दूरी 25 किमी है, जिसे पैदल अथवा घोड़ा-खच्चर से तय किया जा सकता है। पिंसवाड़ गांव कुश कल्याणी का बेस कैंप भी है।

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करीब साढ़े तीन किमी क्षेत्र में फैले कुश कल्याणी बुग्याल में प्रकृति ने बेपनाह खूबसूरती बिखेरी है। सूर्य डूबने का नजारा तो यहां से देखते ही बनता है। वहीं, ठीक सामने नजर आने वाली बर्फ से लकदक हिमालय की चोटियां बुग्याल के सौंदर्य में चार चांद लगाती हैं। बरसात के बाद चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिल आते हैं। साथ ही आप भांति-भांति की वनस्पति और ऊंचाई पर पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के शांत वन्य जीवों का दीदार भी कर सकते हैं। सर्दियों में पूरा क्षेत्र बर्फ से ढंका रहता है, जिस पर अठखेलियां करने का आनंद ही कुछ और है। यही वजह है कि जरूरी सुविधाएं न होने पर भी हर साल करीब पांच हजार पर्यटक यहां पहुंचते हैं। वैसे पर्यटकों के ठहरने के लिए पिंसवाड़ और उर्णी के ग्रामीणों ने यहां छोटे-छोटे हट्स बनाए हुए हैं।

कुश कल्याणी पहुंचने के लिए भले ही अब तक 25 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती हो, लेकिन वर्तमान में बूढ़ाकेदार से पिंसवाड़ तक सड़क निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। इस सड़क के बनने से कुश कल्याणी की दूरी मात्र नौ किमी रह जाएगी। इससे यहां पहुंचने में आसानी तो होगी ही, पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा। साथ ही इस पर्यटक स्थल को पहचान भी मिलेगी।

कुश कल्याणी बुग्याल में अतीस, दूधिया अतीश, कुटकी, कड़वी कुटकी, अर्चा गडनी, मीठा विष, जटामासी, ककोली, गुग्गल, सतवा, दूधिया सतवा, जीवक रसबक, शिल्पाहरी, हथजड़ी, पुष्करमोल, चोरु, कपूरकचरी, दौलू अरचा, बज्रदंती, रतनजोत जैसी दुर्लभ जड़ी-बूटियों का भंडार है, लेकिन लोगों को इस संबंध में जानकारी तक नहीं। जबकि, यही जड़ी-बूटियां स्थानीय स्तर पर समृद्धि का आधार बन सकती हैं।

स्थानीय निवासी धर्म सिंह जखेड़ी, मनमोहन डिमरी व भरत सिंह बताते हैं कि कुश कल्याणी जाने वाले ट्रैक रूट को विकसित किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं, ताकि पर्यटकों को बुग्याल से संबंधित आवश्यक जानकारी हासिल हो सके।

एसएस यादव (जिला पर्यटन अधिकारी, टिहरी, उत्तराखंड) का कहना है कि कुश कल्याणी बुग्याल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आसपास के गांवों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके बाद ही इस संबंध में कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 

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