14 वर्ष बाद भी खत्म नहीं हुआ सड़क का वनवास
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का शंखनाद शुरू हो गया है। इसके साथ ही विधानसभा के प्रमुख मुद्दे भी जोर पकड़ने लगे हैं। धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के थौलधार-ठांगधार मोटर मार्ग का मुद्दा भी इनमें से एक है जिसकी मांग 14 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इसका खामियाजा क्षेत्रीय जनता को भुगताना पड़ रहा है। राज्य गठन की शुरुआत से ठांगधार-थौलधार मोटर मार्ग की मांग की जाती रही है। आठ किमी लंबा यह मोटर मार्ग 2008 में स्वीकृत हो गया था लेकिन वन अधिनियम के चलते यह मार्ग अधर में लटका हुआ है।
संवाद सूत्र, कंडीसौड़: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का शंखनाद शुरू हो गया है। इसके साथ ही विधानसभा के प्रमुख मुद्दे भी जोर पकड़ने लगे हैं। धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के थौलधार-ठांगधार मोटर मार्ग का मुद्दा भी इनमें से एक है, जिसकी मांग 14 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इसका खामियाजा क्षेत्रीय जनता को भुगताना पड़ रहा है।
राज्य गठन की शुरुआत से ठांगधार-थौलधार मोटर मार्ग की मांग की जाती रही है। आठ किमी लंबा यह मोटर मार्ग 2008 में स्वीकृत हो गया था, लेकिन वन अधिनियम के चलते यह मार्ग अधर में लटका हुआ है। थौलधार क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों के ठांगधार क्षेत्र में बगीचे हैं, जहां ग्रामीण नियमित पैदल आवागमन करते हैं। राजशाही के दौर से हरिद्वार-गंगोत्री यात्रा मार्ग के रूप में छह से आठ मीटर चौड़ा पैदल मार्ग बना हुआ है। इसी मार्ग पर जनता मोटर मार्ग निर्माण की मांग कर रही है। सरकारी उपेक्षा से त्रस्त क्षेत्र के ग्रामीणों ने 2017 में बंडवालगांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान स्व. राजेश भट्ट के नेतृत्व में पैदल यात्रा मार्ग को श्रमदान से मरम्मत कर हल्का वाहन योग्य बना दिया था। इस पर भी वन विभाग ने आपत्ति की थी। तत्कालीन जिलाधिकारी के हस्तक्षेप पर मामला शांत हुआ था। तबसे जनप्रतिनिधि इस मार्ग से आवागमन कर रहे हैं, लेकिन स्वीकृत मोटर मार्ग को वैधानिक रूप से निर्माण के लिए सहयोग के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं। यदि यह मार्ग बन जाता है तो टिहरी बांध झील, डोबरा-चांठी पुल, प्रतापनगर ब्लाक, चमियाला क्षेत्र ठांगधार में चम्बा-मसूरी मोटर मार्ग से जुड़कर जहां आम जनता के लिए मसूरी देहरादून के लिए सुगम हो जाएगा। वहीं एक बहुत बड़ा क्षेत्र पर्यटन हब के रूप में उभर जाएगा। क्षेत्र पंचायत सदस्य उमा भट्ट, ग्राम प्रधान सुभाष आदि का कहना है कि यह मुद्दा ध्यान में रखते हुए ही क्षेत्र की जनता मतदान करेगी। राजनीतिक तौर पर एक दर्जन से अधिक गांवों के लगभग चार हजार से अधिक मतदाताओं को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कौन प्रत्याशी साधने में सफल होता है यह देखना दिलचस्प होगा।
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वर्ष 2019 में केंद्रीय वन मंत्रालय ने फाइल अस्वीकृत कर दी थी, जिसे जनता की मांग पर दोबारा खुलवाया गया। कुछ माह पूर्व केंद्रीय वन मंत्रालय की टीम ने सड़क का निरीक्षण किया। उम्मीद है जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
एनएच खोलिया, अधिशासी अभियंता लोनिवि चंबा