सुलगते जंगल बन रहे आबादी पर खतरा, मकानों के साथ जिंदगी भी हो सकती है खाक
टिहरी में जंगलों की आग आबादी तक पहुंच रही है। जंगल की आग दो मकान लील गई। गनीमत रही कि दोनों मकान खाली थे।
चंबा, नई टिहरी[जेएनएन]: मौसम में आए बदलाव से उत्तराखंड में विकराल हुई जंगल की आग भले ही कम हो गई हो, लेकिन सुलगते जंगल अब भी आबादी के लिए खतरा बने हुए हैं। टिहरी जिले में जंगल की आग दो मकान लील गई। दोनों मकान खाली थे और इसमें रहने वाले परिवार गांव में नहीं रहते, सिर्फ छुट्टियों में गांव रहते हैं।
घटना चंबा ब्लॉक के केमरी गांव की है। पिछले कुछ दिन से गांव से सटे जंगल में आग लगी हुई है। ग्रामीणों के अनुसार रविवार आधी रात के बाद एकाएक आग ने जंगल से सटे दो मकानों को चपेट में ले लिया। इनमें एक मकान रोशनलाल उनियाल का है, जिसमें दस कमरे थे। उनका परिवार देहरादून में रहता है। मकान में बर्तन, कपड़े, कोठार, फर्नीचर आदि सामान राख हो गया। उनके पड़ोसी कमलेश उनियाल का चार कमरों का मकान भी राख हो गया है। इससे गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने पानी के साथ ही अन्य उपायों से आग पर काबू पाया।
ग्रामीणों का आरोप है वन विभाग की लापरवाही से जंगल की आग बेकाबू हुई है। पिछले माह तीस मई को भी पास के खुरेत गांव में राकेश सकलानी का मकान भी आग से जल गया था जिसके बाद प्रभावित परिवार दूसरे के मकान में शरण लिये हुए है। नरेंद्र नगर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी धर्म सिंह मीणा ने बताया कि इस मामले में जानकारी ली जा रही है। वहीं तहसीलदार भीम सिंह कठैत ने बताया कि पटवारी को मौके पर भेजा जा रहा है। उनकी रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इस बार जंगलों में फैली आग वर्ष 2009 के बाद सबसे विकराल बताई जा रही है। आग से अब तक जंगलों को 82 लाख की क्षति हो चुकी है और 4200 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है।
यह भी पढ़ें: जंगल की आग से मकान जला, कर्मी झुलसा; अब तक 54 लाख से अधिक की क्षति
यह भी पढ़ें: जंगलों में आग हुई विकराल, लपटों के बीच भागकर छात्राओं ने बचाई जान
यह भी पढ़ें: जंगल की आग से घिरा स्कूल, 650 बच्चों की ऐसे बचाई जान; लेगें हेलीकॉप्टरों का सहारा