पहले भूमि विवाद अब बजट का इंतजार
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: बीस साल बाद भी मत्स्य विभाग की हैचरी केवल चार दीवारी तक सिमट कर रह गई है। दर
संवाद सहयोगी, नई टिहरी: बीस साल बाद भी मत्स्य विभाग की हैचरी केवल चार दीवारी तक सिमट कर रह गई है। दरअसल नागणी में हैचरी का निर्माण किया जाना था। इसमें पांच तालाब और कर्मचारियों के आवास भी बनने थे। इसके निर्माण को लेकर पहले भूमि का विवाद रहा, बाद में भूमि मिली तो अब बजट का इंतजार है। यदि यहां पर हैचरी बन जाती तो मछली के बीज काशीपुर से नहीं मंगाने पड़ते। अभी तक मछली के बीज काशीपुर से मंगाए जा रहे हैं।
मत्स्य विभाग की नागणी हैचरी अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाई है। करीब बीस वर्ष पूर्व स्वीकृत हैचरी में पहले स्थानीय लोगों के भूमि विवाद के चलते मामला लटका रहा। कुछ साल पहले भूमि विभाग के नाम हुई तो विभाग ने भूमि के चारों ओर दीवार लगा दी, लेकिन इसके बाद मामला अटक गया। इस हैचरी को बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य मत्स्य के क्षेत्र में स्वरोजगार बढ़ाने का था। करीब 32 नाली भूमि पर इस हैचरी का निर्माण कार्य होना हे। इसमें पांच बड़े तालाबों का निर्माण, कर्मचारी आवासीय भवन बनाए जाने हैं। विभाग ने हैचरी के लिए दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव तो भेजा है, लेकिन अब देखना यह है कि यह राशि कब तक स्वीकृत हो पाती है। पहले हैचरी निर्माण में भूमि विवाद चल रहा था। अब भूमि विभाग को हैंडओवर हो गई है। यहां पर चारों ओर दीवार बना दी गई है। साथ ही, हैचरी बनाने के लिए दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है।
आमोद नौटियाल, मत्स्य निरीक्षक